यदि आपका बच्चा गुमसुम है तो हो जाए सावधान, हो सकता है ऑटिज्म
इस बीमारी पर बन चुकी है फिल्म
सीतापुर : क्या आपके बच्चे की उम्र एक साल या उससे ज्यादा है और वह न तो ठीक से बड़बड़ कर पा रहा है, और न ही टाटा, बाय-बाय करता है. वह अपनी पसंद भी नहीं बता पा रहा है, और न ही नजरें मिला पा रहा है, तो यह ऑटिज्म बीमारी के लक्षण हो सकते हैं. इस बीमारी के होने के सही-सही कारणों का अभी पता नहीं चल सका है लेकिन समय पर इलाज और रोकथाम के जरिए बच्चे के आगे के जीवन सुधारा जा सकता है.
जिला चिकित्सालय के मनोचिकित्सक डॉ. प्राशू अग्रवाल ने बताया कि ऑटिज्म (स्वलीनता) एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जिससे ग्रसित लोगों में व्यवहार से लेकर कई तरह की दिक्कतें होती हैं. ऑटिज्म के शुरुआती लक्षण एक से तीन साल के बच्चों में नजर आते हैं. इस बीमारी के लिए गर्भावस्था, अनुवांशिक और पर्यावरण संबंधी कई कारण जिम्मेदार होते हैं. इस बीमारी से ग्रसित बच्चे अपने आप में खोए से रहते हैं. यह बीमारी बच्चों के मानसिक विकास को रोक देती है. सामान्य तौर पर ऐसे बच्चों को उदासीन माना जाता है. चिकित्सकों का मानना है कि सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचने से यह दिक्कत होती है. कई बार गर्भावस्था के दौरान खानपान सही नहीं होने से भी बच्चे को ऑटिज्म का खतरा हो सकता है. वह बताते हैं कि इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष दो अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरुकता दिवस मनाया जाता है.
चिकित्सा मनोवैज्ञानिक रवि मिश्रा ने बताया कि आधुनिक जीवनशैली की वजह से परिवारों में एकजुटता का भाव बहुत कम हो गया है. बच्चों में असुरक्षा का एहसास बढ़ रहा है. बच्चों को माता-पिता एवं परिवार के अन्य सदस्यों का ध्यान और प्यार चाहिए होता है। इससे वह सुरक्षित और आत्मनिर्भर महसूस करता है. बच्चों में खिलौने, किताबें पढ़ने और घर में कुछ रोचक खेल-खेलने की आदत डालनी चाहिए. वह बताते हैं कि जिन बच्चों में ऑटिज्म की शिकायत होती है, उनके विकास की गति धीमी होती है. उनका नाम पुकारने पर भी वो कोई जवाब नहीं देते हैं. आमतौर पर छह माह के बच्चे मुस्कुराना, उंगली पकड़ना और आवाज पर प्रतिक्रिया देना सीख लेते हैं, लेकिन जिन बच्चों में ऑटिज्म की शिकायत होती है वह ऐसा नहीं कर पाते हैं. ऑटिज्म बीमारी को लेकर माय नाम इज खान नामक फिल्म भी बनी है.
ऑटिज्म के लक्षण
एक साल से कम उम्र के बच्चों में ऑटिज्म का पता लगाना चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन दो साल की उम्र तक इसका पता लगाया जा सकता है. ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे अक्सर ऐसे व्यवहार करते हैं, जो सामान्य व्यवहार से अलग होता है। जैसे कि एक से दूसरे काम में बदलाव होने पर अजीब व्यवहार करना, बहुत ज्यादा ध्यान केंद्रित करना और किसी उत्तेजना के प्रति अप्रत्याशित प्रतिक्रिया देना आदि.
ऑटिज्म से बचाव
जिला महिला चिकित्सालय की अधीक्षक डॉ. सुषमा कर्णवाल का कहना है कि गर्भवती को नियमित तौर पर गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य परीक्षण कराना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान पौष्टक खान-पान का प्रयोग करें. ऐसा नहीं करने पर बच्चे का दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है. बच्चे के पैदा होने से छह माह तक उनकी आदतों पर गौर करें.