Surya Satta
लखीमपुर खीरी

किशोर व किशोरियों की जिज्ञासाओं का समाधान कर रहे साथिया केंद्र

 

नकहा के केजीबीवि में विश्व माहवारी स्वच्छता प्रबंधन दिवस पर हुए आयोजन

लखीमपुर खीरी : विश्व माहवारी स्वच्छता प्रबंधन दिवस के मौके पर रविवार को नकहा ब्लॉक के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्याल में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर विद्यालय की छात्राओं द्वारा एक रैली निकाली गई एवं संगोष्ठी, स्लोगन व पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया.
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और नकहा सीएचसी की अर्श काउंसलर श्वेता सिंह ने बताया कि किशोरावस्था में शारीरिक व मानसिक बदलाव तेजी से होते हैं. इस उम्र में किशोर और किशोरियां यौन, मानसिक तथा व्यावहारिक रूप से परिपक्व होने लगते हैं. ऐसे में उनके सामने ऐसे तमाम अनसुलझे सवाल, शंकाएं और जिज्ञासाएं होती हैं। इन मुद्दों पर सही जानकारी मुहैया कराने पर पूरा जोर है. इसी को ध्यान में रखते हुए जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी स्तर पर राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के तहत साथिया केंद्रों की स्थापना की गई है. इन केंद्रों पर प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा किशोर-किशोरियों की शंकाओं और जिज्ञासाओं का समाधान तो किया ही जा रहा है, साथ ही उन्हें माहवारी स्वच्छता प्रबंधन, पोषण, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, चोट और हिंसा को रोकने और मादक पदार्थों के दुष्परिणामों के बारे में भी जानकारी दी जा रही है.

 

संगोष्ठी में विद्यालय की कक्षा आठ की छात्रा मुस्कान यादव ने कहा कि माहवारी को लेकर अब समाज में बदलाव आने लगा है. अब से कई दशक पहले तक इसे बुरा, शर्म औ संकोच का विषय माना जाता हो, लेकिन आज हम किशोरियां इसको लेकर खुलकर चर्चा करते हैं. कोई समस्या होने पर नकहा सीएचसी के साथिया केंद्र की परामर्शदाता श्वेता सिंह से परामर्श लेते हैं. छात्रा काजल ने बताया कि मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. छात्रा दिव्यांगी और मानवी ने कहा कि माहवारी को लेकर यदि शुरुआत में ही संकोच नहीं तोड़ा गया तो आगे चलकर कुछ समस्याएं भी हो सकती हैं. छात्रा दिव्या ने बताया कि किशोरियों और महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के प्रति और जागरूक करने के लिए हर साल 28 मई को ‘अन्तराष्ट्रीय माहवारी स्वच्छता दिवस’ मनाया जाता है.

 

विद्यालय की वार्डेंन सुनैना वर्मा ने बताया कि कुछ समय पहले तक किशोरियां मासिक धर्म के बारे में बात करने में संकोच करती थीं। इस दौरान होने वाली समस्याओं के बारे में किसी को नहीं बताती थीं. नतीजा होता था कि उन्हें तमाम तरह की बीमारियां घेर लेती थीं. लेकिन अब मासिक धर्म पर बात करना, उस पर चर्चा करना और उपायों का क्रियान्वयन किया जा रहा है. विद्यालय की शिक्षिका डॉ. नीतू रॉय ने कहा कि माहवारी (मासिक धर्म) का आना शर्म या संकोच का नहीं बल्कि एक महिला के लिए स्वस्थ होने की निशानी है. उचित पोषण के लिए किशोरियों व महिलाओं के लिए तिरंगा भोजन अहम है. वहीं उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की जानकारी का होना भी बेहद आवश्यक है.

 

इस मौके पर आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में मुस्कान बानो प्रथम, मुस्कान यादव द्वितीय व हिमांशी पांडेय तृतीय स्थान पर रहीं. इन विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया गया. इसके अलावा स्लोगन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया. इस मौके पर गांव में एक रैली भी निकाली गई. कार्यक्रम में शिक्षिका नैनसी वर्मा, आरती, मंदाकिनी सिंह, मीनू देवी निशा जायसवाल के अलावा सभी छात्राएं मौजूद रहीं. छात्राओं को सैनिटरी पैड का भी वितरण किया गया.

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