साथिया केंद्रों पर मिल रही माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की जानकारी
बीते साल 9,913 किशोरियों ने माहवारी स्वच्छता प्रबंधन तथा यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी ली जानकारी
लखीमपुर खीरी : “माहवारी के दिनों में मन्दिर न जाना, पूजा न करना, अचार न छूना, खाना न बनाना…, यह एक दकियानूसी कुप्रथा मात्र है। बदलते दौर में इस कुप्रथा पर विराम लग रहा है। माहवारी (मासिक धर्म) का आना शर्म या संकोच का नहीं बल्कि एक महिला के लिए स्वस्थ होने की निशानी है।” यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता का। वह कहते हैं कि “उचित पोषण के लिए किशोरियों व महिलाओं के लिए तिरंगा भोजन अहम है। वहीं उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की जानकारी का होना भी बेहद आवश्यक है।”
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के नोडल अफसर और उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. बीसी पंत का कहना है कि किशोरावस्था में शारीरिक व मानसिक बदलाव तेजी से होते हैं। इस उम्र में किशोर और किशोरियां यौन, मानसिक तथा व्यावहारिक रूप से परिपक्व होने लगते हैं। ऐसे में उनके सामने ऐसे तमाम अनसुलझे सवाल, शंकाएं और जिज्ञासाएं होती हैं। प्रदेश सरकार का भी किशोर-किशोरियों को इन सारे मुद्दों पर सटीक और पूरी तरह से सही-सही जानकारी मुहैया कराने पर पूरा जोर है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी स्तर पर राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के तहत साथिया केंद्र की स्थापना की गई है। इन केंद्रों पर प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा किशोर-किशोरियों की शंकाओं और जिज्ञासाओं का समाधान तो किया ही जा रहा है, साथ ही उन्हें पोषण, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, चोट और हिंसा को रोकने और मादक पदार्थों के दुष्परिणामों के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समंवयक सचिन गुप्ता बताते हैं, किशोरियों और किशोरों को माहवारी स्वच्छता प्रबंधन तथा यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देने के लिए ब्लॉक स्तरीय सीएचसी सहित जिला और महिला चिकित्सालय पर कुल 17 साथिया केंद्रों (किशोर स्वास्थ्य एवं परामर्श क्लीनिक) की स्थापना की गई है। इन केंद्रों पर प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा किशोर-किशोरियों की शंकाओं और जिज्ञासाओं का समाधान तो किया ही जा रहा है, साथ ही उन्हें माहवारी स्वच्छता, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, चोट और हिंसा को रोकने और मादक पदार्थों के दुष्परिणामों के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इन साथिया केंद्रों पर बीते एक साल में 74,521 किशोर-किशोरियों ने अपनी समस्याओं, शंकाओं और जिज्ञासाओं का समाधान पाया है। जिनमें से 9913 किशोरियों ने अपनी माहवारी स्वच्छता प्रबंधन से संबंधित अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया है। इसके अलावा साथिया केंद्र के काउंसलरों द्वारा 14,513 किशोर-किशोरियाें की जिले के विभिन्न स्थानों पर लगने वाले शिविरों, मेलों एवं स्कूल/काॅलेजों में काउंसलिंग की गई है।
इस तरह हुई शुरूआत
जर्मनी की एक संस्था वाश द्वारा वर्ष 2014 में 28 मई को विश्व माहवारी स्वच्छता प्रबंधन दिवस मनाने की पहल की गई। इसका उद्देश्य दुनिया भर में मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को कम करने और उसके दौरान रखी जाने वाली साफ-सफाई के बारे में किशोरियों और महिलाओं को जागरूक करना है।