सुख दुख के इस सफर मे, तुम हमसफ़र बन गये, चाहे ना चाहे तुझे हम..
संतोष कुमार विहंगम
सुख दुख के इस सफर मे, तुम हमसफ़र बन गये,
चाहे ना चाहे तुझे हम, तुम मेरे रब बनगये.
तेरी मुस्कुराहट से आये बहारे,
है आँचल मे तेरे गगन के सितारे
तुम्हारी ये जुल्फें, ये आँखे, ये सासे,
है जीना हमारा इन्ही के सहारे,
जाने ना जाने ये कैसे तुम सनम बन गये
चाहे ना चाहे तुझे हम, तुम मेरे रब बन गये.
सुख दुख के इस सफर मे, तुम हमसफ़र बन गये,
चाहे ना चाहे तुझे हम, तुम मेरे रब बन गये.
इजहार-ए- मोहब्बत, बड़ा ही है मुश्किल,
तेरे दिल की चौखट पर आया मेरा दिल,
तुझे प्यार करता हु मै तेरे काबिल
मै आशिक है तेरा नहीं कोई कातिल,
दर्द भरे जख्मो पर तुम मरहम बन गये
चाहे ना चाहे तुझे हम,
तुम मेरे रब बन गये.
सुख दुख के इस सफर में , तुम हमसफ़र बन गये,
चाहे ना चाहे तुझे हम, तुम मेरे रब बन गये.