जय श्रीराम के उद्घोष के साथ चौरासी कोसी परिक्रमा अपने पहले पड़ाव कोरौना से दूसरे पड़ाव हरैया के लिए हुई रवाना
धीरेन्द्र प्रताप सिंह
सीतापुर : प्रथम पड़ाव कोरौना मैं डंका बजते ही हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की बोल कडाकड सीताराम भाई सीताराम के उद्घोष के साथ विश्व विख्यात 84 कोसी परिक्रमा दूसरे पड़ाव हरैया के लिए प्रस्थान कर गई. हरैया को पुराणों में हरि क्षेत्र भी कहा जाता है,क्योंकि यहां से कुछ ही दूर पर हत्या हरण तीर्थ स्थित है. जहां पर राम और रावण के युद्ध में रावण के वध के बाद भगवान राम को ब्रह्म हत्या का दोष लगा था,जिस से मुक्ति पाने के लिए श्री राम अपने कोट परिवारी जनों के साथ में हत्या हरण तीर्थ में स्नान करने के लिए गए थे. इसलिए इस क्षेत्र को हरि क्षेत्र अर्थात हरैया कहा जाता है. यहीं पर द्वितीय पड़ाव स्थल है द्वितीय पड़ाव स्थल पर प्रथम पड़ाव की अपेक्षा प्रशासन द्वारा बहुत कम व्यवस्था कराई गई.
सुदूर देश से आए हुए परिक्रमाथी सुबह ब्रह्म मुहूर्त में ही दूसरे पड़ाव हरैया के लिए प्रस्थान कर गए. रास्ते में ग्रामीणों द्वारा जगह-जगह भंडारे वह चाय नाश्ते की व्यवस्था परिक्रमा करने वालों के लिए की गई.
कहा जाता है कि कोरौना में अश्वमेध यज्ञ कराने के बाद श्री राम जी इसी मार्ग से हरैया गए थे. इसीलिए परिक्रमा को रामादल भी कहा जाता है. रास्ते में चतुर्भुज मंदिर,कैलाश आश्रम आदि पौराणिक स्थलों का भी परिक्रमार्थी दर्शन करते है. हरैया जाते समय बीच में पड़ने वाली आदि माता गोमती नदी में भी स्नान ध्यान किया. इसके बाद हरदोई जनपद के लिए परिक्रमार्थी कूच कर गए.