Surya Satta
सीतापुर

परिवार नियोजन अपनाने में महिलाओं ने रचा इतिहास

 

सीतापुर : ‘पहला बच्चा अभी नहीं’ और ‘दूसरा बच्चा जल्दी नहीं’ इन मूलमंत्रों को जिले के दंपति ने पूरी तरह से आत्मसात कर रखा है। दो बच्चों के बीच में अंतर रखने के लिए परिवार नियोजन के अस्थायी साधनों काे अपनाने में सीतापुर जिला प्रतिदिन एक नया इतिहास रच रहा है। आंकड़े गवाह हैं कि जिले की महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं। खाने वाली गर्भ निरोधक गोलियां हों, इंजेक्शन हों या फिर दूसरे साधन हों, बीते तीन सालों में हर एक साधन के उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा बढ़ रहा है।

 

यूं बढ़ रहा परिवार नियोजन सेवाओं का ग्राफ

 

वित्तीय वर्ष — आईयूसीडी — पीपी आईयूसीडी — अंतरा
2022-23 — 12,479 — 15,179 — 10,617
2021-22 — 10,770 — 18,199 — 7,813
2020-21 — 9,700 — 14,367 — 5,755
2019-20 — 8,626 — 10,761 — 6,142
2018-19 — 4,908 — 7,547 — 4,569

 

 

खाने की गोलियां भी दिखा रहीं असर

 

वित्तीय वर्ष — माला एन — छाया — इमरजेंसी गोलियां
2022-23 — 91,665 — 58,838 — 32,927
2021-22 — 68,492 — 35,989 — 25,040

 

 

यहां से लें जानकारी

 

सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह बताते हैं कि लक्षित दंपति को परिवार नियोजन की जानकारी देने और जागरूक करने के लिए हर माह की 21 तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर खुशहाल परिवार दिवस का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक गुरुवार को अंतराल दिवस का भी आयोजन किया जाता है। इन मौकों पर लाभार्थियों की शादी के दाे साल बाद ही गर्भधारण की योजना बनाने के बारे में काउंसलिंग की जाती है, और बास्केट ऑफ च्वाइस की जानकारी देते हुए परिवार नियोजन के आधुनिक साधनों के बारे में बताया जाता है।

 

यह है जिले की तस्वीर

 

परिवार कल्याण कार्यक्रम के प्रबंधक जावेद खान बताते हैं कि वर्ष 2020-21 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के आंकड़ों के अनुसार जिले में वर्ष 2019-21 में 51.1 प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन के किसी न किसी साधन को अपना रहीं थीं, जबकि वर्ष 2015-16 में यह आंकड़ा 42.8 ही था। वर्ष 2019-21 में 1.1 प्रतिशत विवाहिताएं आईयूसीडी को अपना रहीं थी, जबकि वर्ष 2015-16 में यह आंकड़ा 0.8 ही था। इसी तरह वर्ष वर्ष 2019-21 में 1.6 प्रतिशत महिलाएं गर्भ निरोधक खाने की गोलियों का प्रयोग करने लगी थीं, जबकि वर्ष 2015-16 में यह आंकड़ा 1.4 ही था।

 

क्या कहती हैं लाभार्थी 

 

कसमंडा ब्लॉक के केन्धलिया गांव की निशा का कहना है कि मेरी गोद में दो माह की बेटी है। दूसरे बच्चे के बीच में अंतर रखने के लिए मैंने प्रसव के दूसरे ही दिन आईयूसीडी लगवा ली थी। इसको लगवाने से मुझे किसी भी तरह की कोई मुश्किल नहीं हो रही है। शहर क्षेत्र की निवासी जय देवी का कहना है कि दो बच्चों के बीच में अंतर रखने के लिए पिछले कई माहों से मैं त्रैमासिक गर्भनिरोध इंजेक्शन अंतरा लगवा रहीं हूं। इससे मुझे किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं है।

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