सच्ची मित्रता का भाव सबको दिखाया था
एक शाम मित्रता के नाम विराट कवि सम्मेलन हुआ संपन्न
सीतापुर : भगवान राम के परम मित्र और श्रंग्वेरपुर के राजा निषाद राज के पावन जन्मोत्सव पर तहसील गेट के पास एक शाम मित्रता के नाम विराट कवि सम्मेलन का आयोजन राकेश पाण्डेय की अध्यक्षता में किया गया. जिसमें दूर दूर से आये कवियों कवयित्रियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को खूब लुभाया. हरदोई से आये वरिष्ठ गीतकार पवन प्रगीत ने राम और निषाद राज की मित्रता को रेखांकित करते हुए पढ़ा कि सखा धर्म की मिसाल शास्त्र बतलाते हमें, मित्र की विजय भी आपकी विजय सी हो. मित्र के चरित्र में भी इत्र महकाने वाली, मित्रता तो राम व निषादराज जैसी हो और अपने गीतों से लोगों को खूब आनन्दित किया. संचालन करते हुए कवि केदारनाथ शुक्ल ने पढ़ा कि गिरि वासी वनवासी पशु पक्षियों से प्रेम, ऐसी प्रभु से प्रभुताई होनी चाहिए. जैसी प्रभु राम और निषाद राज जी में, वैसी ही समाज में मिताई होनी चाहिए. ओज कवि योगेश चौहान ने पढ़ा कि कफन हटा कर देखा तो सीने पर हिन्दुस्तान लिखा था. बंथरा से आये वरिष्ठ कवि कृष्ण कुमार मौर्य ‘सरल’ ने पढ़ा कि मिले माॅं कैकेई से जो उन्हें वरदान न होते, लोक कल्याण मर्यादाओं के उपमान न होते.
न खाते बेर शबरी के न अपनाते जो केवट को, राम राजा तो बन जाते मगर भगवान न होते. नैमिष से पधारे मधुर कण्ठ के मालिक रोहित विश्वकर्मा ने भगवान राम और निषाद की आत्मीय दोस्ती में सम्मान भाव से पढ़ा कि यहाॅं तक राम राज्य अभिषेक में भी, सच्ची मित्रता का भाव सबको दिखाया था और उसमे भी अपने सखा निषाद जी को, ऊंचा पद दे के मुख्य अतिथि बनाया था. हास्य व्यंग्य कवि प्रमोद मिश्र पंचमेश ने पढ़ा कि पिता घर प्रेम से बोलें तो गुर गुराते हैं. लुगाई डांटकर बोले तो देखो दुम हिलाते हैं. संयोजक देवेन्द्र कश्यप ‘निडर’ ने श्रंग्वेरपुर के राजा निषाद राज वनवासी राम जी से कहते है कि ये समय चक्र चलता रहता जो कभी नहीं रुकने वाला, ये दौर हमारा आया है फिर दौर तुम्हारा आयेगा. जिस पर लोगों ने करतल ध्वनि से सराहना की. कवयित्री पिंकी अरविंद प्रजापति ने पढ़ा कि करते हम वंदना फूल माला लिए, भूप निषाद का जन्मदिन आज है.
लखनऊ की हेमा पाण्डेय ने पढ़ा कि अजूबे सात दुनिया के मगर से ये हैं, मेरी आंखों का भोलापन तेरी आंखों की बदमाशी. विनीत तिवारी ने पढ़ा कि सुर नर मुनि सब करते प्रणाम नित्य मां के तो चरण जैसे होते चारो धाम है. हास्य कवि लवकुश शुक्ल ने पढ़ा कि बुढ़ापे में बाबा गदर काटते हैं. आयोजक व प्रगतिशील रचनाकार अनुराग आग्नेय ने मित्रता पर एक शानदार गीत सुनाकर साफ सुथरा साहित्य सृजन का संदेश दिया. सह संयोजक नवनीत नवल ने पढ़ा कि लिपटकर तिरंगे में घर को जो आए, नमन धन्य वो जिंदगानी लिखेंगे. चन्द्रशेखर प्रजापति ने आये हुए कवियों अतिथियों और प्रबुद्ध श्रोताओं के प्रति आभार प्रदर्शित किया.
इस मौके पर पूर्व वित्त मंत्री श्याम लाल रावत, विमल राजपूत,अनूप तिवारी, चेयर मैन प्रतिनिधि गंगाराम राजपूत , सती प्रसाद मिश्र, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष रामप्रकाश यादव, ललित मिश्र, आचार्य मनीष पाण्डेय, राजेश कश्यप, लहरपुर से विभू पुरी, बिसवां से सुधीर कुमार, अर्चना प्रजापति, पंकज सिंह, लवकुश यादव, प्रधान बुद्ध प्रकाश, दिवाकर, प्रजापति, आर डी वर्मा, पूजा मिश्र सहित सैकड़ों प्रबुद्ध श्रोता मौजूद रहे.