Surya Satta
उत्तर प्रदेशश्रावस्ती

मुशर्रफ के हृदय और आंखों की हुई सफल सर्जरी, परिजन खुश

 

आरबीएसके के तहत बच्चे का अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में हुआ ऑपरेशन 

श्रावस्ती : गिलौला ब्लॉक के तिलकपुर दर्जीपुरवा गांव का रहने वाला मुशर्रफ छह साल की उम्र के बाद भी न तो देख पा रहा था और न ही उसका दिल ही सामान्य तौर पर धड़क रहा था। उसे यह समस्या जन्मजात थी। मुशर्रफ के पिता पप्पू ने कई निजी चिकित्सकों को दिखाया, तो डॉक्टरों ने ऑपरेशन कराने की सलाह दी. लेकिन कपड़े सिलकर सात लोगों के परिवार का भरण-पोषण करने वाले पप्पू के लिए डॉक्टर की फीस और ऑपरेशन का खर्च उठाना बेहद मुश्किल था. ऐसे में गांव के स्वास्थ्य कर्मी ने पप्पू को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के बारे में जानकारी दी. इसके बाद राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की मदद से मुशर्रफ के ह्रदय और आंखों की अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में सफल सर्जरी हुई. अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है.

पप्पू बताते हैं कि तीन बेटों और दो बेटी के अलावा उनके परिवार में उनकी पत्नी है. मुशर्रफ उनका सबसे बड़ा बेटा है. वह ह्रदय और आंखों की बीमारी से जन्मजात ग्रसित था. उम्र के साथ ही साथ उसकी बीमारी और मुश्किलें भी बढ़ती गईं. जब उन्हें गांव के स्वास्थ्य कर्मी से आरबीएसके के बारे में पता चला. तो वह सीएमओ ऑफिस जाकर आरबीएसके टीम से मिले। टीम ने उनकी मदद करते हुए डीएम नेहा प्रकाश और सीडीओ अनुभव सिंह की मदद से बीती 16 मार्च को मुशर्रफ को अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज भिजवाया. जहां पर बीती 20 मार्च को बच्चे के ह्रदय का और चार अप्रैल को आंखों का ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन के बाद नौ मार्च को बच्चे को अस्पताल से छुट्टी देकर घर भेज दिया गया.

आरबीएसके की नोडल अधिकारी डॉ. पुष्पलता ने बताया कि ऑपरेशन के बाद बच्चे का ह्रदय सामान्य तरीके से धड़कने लगा है और उसे अब दोनों आंखों से दिखाई भी दे रहा है, जिससे वह अब भागदौड़ भी कर रहा है. जिससे मुशर्रफ के माता-पिता पूरी तरह से संतुष्ट हैं.

 

38 बीमारियों का होता उपचार

 

डीईआईसी (डिस्ट्रिक अर्ली इंटरवेन्शन सेंटर मैनेजर) प्रतीक शाक्य ने बताया कि जीवन का प्रारम्भिक समय किसी भी बच्चे के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. आरबीएसके के तहत शून्य से 19 साल की आयु के बच्चों में 38 प्रकार की जन्मजात बीमारियों का इलाज किया जाता है. इनको फोर-डी भी कहते हैं, डिफ़ेक्ट एट बर्थ, डिजीज, डेव्लपमेंट डिलेज इंक्लुडिंग डिसेबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी , कमी और विकलांगता. इन कमियों से प्रभावित बच्चों की इस कार्यक्रम के तहत निःशुल्क सर्जरी सहित प्रभावी उपचार प्रदान किया जाता है.

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