मान्यवर कांसीराम जी की मूर्ति अनावरण कर दिखावा कर रही है सपा, अखिलेश यादव वोट के समय याद करते है महापुरूषों को : सुनील अर्कवंशी
लखनऊ : समाजवादी पार्टी से जब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का गठबंधन था तब महाराजा सुहेलदेव राजभर जी की बड़ी बडी फ़ोटो अपने मंच के पोस्टरों,बैनरों में लगाते थे पर आज जब गठबंधन टूट गया तब महाराजा जी की फ़ोटो लगाना ही बंद कर दिए है इससे साफ जाहिर होता है कि अखिलेश यादव मात्र वोट की खातिर ही महापुरुषों को सम्मान देने का कार्य करते है उसके बाद भूल जाते है.
2022 के चुनाव में ब्राह्मण समाज के प्रेम में भगवान परशुराम जी की मूर्ति लगवाई तब वो भी काम ना आई .
अब 2024 के चुनाव के लिए दलित प्रेम में मान्यवर कांसीराम जी की मूर्ति का आवरण कर रहे है.
2017 में पिछड़े,अतिपछडे 2022 में ब्राह्मण समाजवादी पार्टी से दूर हो गए
अब 2024 में दलित समाज को अपने साथ लाने की कवायद में जुटे है पर समाजवादी पार्टी के साथ मे दलित समाज भी नहीं आने वाला है. किउंकि समाजवादी पार्टी की सरकार में सबसे ज्यादा उत्पीड़न, अत्याचार दलितों का ही किया जाता था. समाजवादी पार्टी की सरकार रहते अतिपछड़ो को हिस्सेदारी नहीं दी मात्र कुछ ही पिछड़े समाज के लोगी को हिस्सेदारी देने का कार्य किया..बसपा शासन काल मे जब मान्यवर कांशीराम जी के नाम पर जिला एवं यूनिवर्सिटी के नाम रखे गए थे तब समाजवादी पार्टी की सरकार में नाम बदल दिते गए थे और आज कांशीराम जी की प्रतिमा का अनावरण कर अखिलेश यादव सिर्फ दलित प्रेम का दिखावा कर रहे है. समाजवादी पार्टी की करनी और कथनी में बहुत अंतर है. जनता जज मालिक सब जान चुकी है.
आज बाबा साहब भीमराव अंबेडकर एवं मान्यवर कांशीराम जी के विचारों पर चलकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश राजभर जी दिन रात कर मेहनत रहे है. देश की आजादी के बाद जिन जातियों को किसी भी पार्टी ने हिस्सेदारी देने का कार्य नहीं किया उनको खोजकर ऐसे समाज के लोगो को ग्रामसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव में पार्टी टिकट के साथ साथ पार्टी में जिले स्तर के पद से लगाकर राष्ट्रीय स्तर तक के पदों पर हिस्सेदारी देने का कार्य कर रही है. साथ ही सभी धर्म जातियों के लोगो की जोड़ने का कार्य किया जा रहा है. पार्टी की नीतियों एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के विचारों से प्रभावित होकर सर्वसमाज के अधिक से अधिक लोग जुड़ने का कार्य कर रहे है.