Surya Satta
ऐतिहासिक व पौराणिकधार्मिक

पर्यटन स्थल होने के बाउजूद दुर्दशा का शिकार है महाकवि नरोत्मदास की जन्मस्थली

मदन पाल सिंह अर्कवंशी 
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ(lucknow) से 50 दूर सीतापुर(sitapur) जनपद में महाकवि नरोत्तमदास(Mahakavi Narottamadas) जी का जन्म हुआ था. उनके जन्म की प्रमाणिकता नही मिलती है. उनका जन्म 16वीं सदी के आस पास बताया जाता है.

सुदामा चरित काव्य ने नरोत्तमदास को विश्व स्तर की ख्याति प्रदान की

महाकवि नरोत्तम की जन्मस्थली एवं कर्मस्थली यूपी के सीतापुर जनपद अन्तर्गत विकास खण्ड सिधौली(sidhauli) क्षेत्र के बाड़ी में हुआ था. जिनकी सुदामा चरित्र काव्य ने उन्हें विश्व स्तर की ख्याति(world class reputation) प्रदान की. आज महाकवि के नाम पर उनकी कुटिया ही शेष है. जहां पर हजारी प्रसाद द्विवेदी (Hazari Prasad Dwivedi) जी जैसे हिन्दी भाषा के सिपाही आकर अपने को धन्य मानते थे. इस स्थान को पर्यटन विभाग ने अपने संरक्षण मे लेकर एक छोटा सा हाल व बाउंड्रीवाल कुछ वर्ष पूर्व बनाई थी.जो देखभाल के अभाव में बाउंड्रीवाल ढह गई है.

हजारीप्रसाद द्विवेदी ने महाकवि नरोत्मदास की जन्मस्थली का किया था उदघाटन

 नरोत्तमदास जी की मूर्ति हजारी प्रसाद द्विवेदी जी द्वारा स्थापित कराई गई थी. सन 1953 में हजारीप्रसाद द्विवेदी के द्वारा महाकवि नरोत्मदास की जन्मस्थली (birth place) का उदघाटन किया गया था. तभी से नरोत्मदास की जन्मस्थली पर्यटन स्थल के रूप में घोषित है.
लेकिन पर्यटन स्थल में होने के बावजूद भी इस स्थान की दूर्दशा आज भी बनी हुई है. यह स्थल जंगल झाडियों से घिरा हुआ है. बौन्डीवाल छतिग्रस्त अवस्था में पडी हुई है. प्राचीन कुवां जंगल झांडियों से पटा पडा है. वही आज भी नरोत्मदास जी की समाधि स्थली(grave site) कच्ची मिट्टी की सक्त में देखी जा सकती है. इस को आज तक पक्के चबूतरे की सक्ल तक नही दी जा सकी है.

हिन्दी साहित्य की अमूल निधि है, सुदामा चरित

हिन्दी साहित्य के कवि(kavi) नरोत्तमदास जी एक रचना ने हिन्दी साहित्य(Hindi literature) में अमरत्व प्रदान की. नरोत्तमदास जी के द्वारा बृज भाषा में लिखा गया एक छोटा सा काब्य ‘सुदामा चरित'(Sudama Charita) हिन्दी साहित्य की अमूल निधि(amul nidhi) है. इस काब्य के अलावा इनकी दो अन्य रचनाएं ‘विचार माला’ व ‘धुव्र चरित’ का भी उल्लेख मिलता है. विचार माला’ व ‘धुव्र चरित की प्रमाणिकता का अभाव है.
नरोत्तमदास के जन्म व मृत्यु के कोई निस्चित नही हैं साक्ष्य
 नरोत्तमदास जी के जन्म व मृत्यु के कोई निस्चित साक्ष्य नही मिलते है. कई विद्वानों के मतानुसार जीवन काल(Life span) का निर्धारण उपलब्ध साक्ष्यों के प्रकार में 1493 ई. से 1582 ई. बताया गया है. लेकिन इसकी भी कोई प्रमाणिकता नही है.  वही यह भी किवंदती है कि एक बार नैमिषारण्य (Naimisharanya) के लिए जाते समय एक रात तुलसीदास जी इस स्थान पर रूके थे.
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