आशा कार्यकर्ता सीमा ने 137 संस्थागत प्रसव कराकर बनाया रिकॉर्ड
सीतापुर। मजबूत बुनियाद पर ही बड़े-बड़े महलों का निर्माण होता है. स्वास्थ्य विभाग की बुनियाद कही जाने वाली एक आशा कार्यकर्ता ने इस कहावत को सच साबित किया है.
जिले के बेहद पिछड़े ब्लॉक रेउसा के लालपुर गांव की आशा कार्यकर्ता सीमा देवी(Asha worker Seema) ने क्षेत्र के पिछड़ेपन(backwardness) और बाढ़ की विभीषिका को पछाड़कर वर्ष 2020-21 में जिले में सर्वाधिक संस्थागत प्रसव कराने का रिकार्ड(record) बनाया है.

सीमा देवी का कार्यक्षेत्र जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर रेउसा ब्लॉक का लालपुर गांव (स्वास्थ्य उपकेंद्र राजापुर कला) है. बेहद पिछड़े इस इलाके में यातायात के साधनों का भी घोर अभाव है, हर साल आने वाली बाढ़ रास्तों को काट देती है, ऐसे में एंबुलेंस को भी किसी मरीज तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है.
बरसात के दिनों में रास्तों पर पानी भर जाने से आवागमन बंद हो जाता है.
मिशन शक्ति के तहत हुआ चयन आशा कार्यकर्ता सीमा देवी
इन्हीं मुश्किलों के चलते इस क्षेत्र में घरेलू प्रसव की संख्या अधिक है. आशा सीमा देवी ने असुरक्षित समझे जाने वाले घरेलू प्रसव के खिलाफ क्षेत्र की महिलाओं को समझाना शुरू किया, उन्हें बताया कि घरेलू प्रसव किस तरह से असुरक्षित हैं, इनसे किस तरह की मुश्किलें हो सकती हैं.
उन्होंने महिलाओं को यह भी बताया कि संस्थागत प्रसव के क्या लाभ हैं. सीमा देवी के प्रयासों का यह असर हुआ कि क्षेत्र की महिलाओं ने घरेलू प्रसव से किनारा कर सुरक्षित और संस्थागत प्रसव की ओर कदम बढ़ाया है. उन्होंने वित्तीय वर्ष 2020-21 में जिले में सर्वाधिक 137 संस्थागत प्रसव कराकर एक मिसाल कायम की है.
स्थानीय स्तर पर सीएमओ करेंगी सम्मानित
सीमा की इस उपलब्धि पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मधु गैरोला ने जननी सुरक्षा योजना के तहत सर्वाधिक संस्थागत प्रसव कराने वाली आशा के रूप में सीमा देवी को मिशन शक्ति के तहत नामित करते हुए एक पत्र के माध्यम से इसकी जानकारी विभाग के अपर निदेशक, महाप्रबंधक कम्युनिटी प्रोसेस और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मंडलीय महा प्रबंधक सहित कई अधिकारियों को दी है.
सीएमओ ने बताया कि आशा सीमा देवी की उपलब्धियों को लेकर जल्द ही स्थानीय स्तर पर विभाग द्वारा सम्मानित भी किया जाएगा, जिससे उनका उत्साहवर्धन हो और दूसरी आशा कार्यकर्ता भी उनसे प्रेरणा लेकर अपने दायित्वों को और बेहतर तरीके से निभा सकें.
वर्ष 2006 से आशा के पद पर कार्यरत सीमा देवी ने बताया कि घरेलू प्रसव में कई तरह के खतरे हैं, यह पूरी तरह से असुरक्षित है. इन्हीं खतरों की जानकारी देते हुए मैंने क्षेत्र की गर्भवतियों को बताया कि घरेलू प्रसव में जच्चा और बच्चा दोनों की जान का खतरा है, जबकि संस्थागत प्रसव प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा कराया जाता है और वहां खतरा नहीं है.
गर्भवती और उनके परिवारीजन को संस्थागत प्रसव के लिए मुफ्त एम्बुलेंस सेवा के बारे में भी जानकारी देने के साथ ही उन्हें प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद साफ-सफाई रखने और पौष्टिक भोजन के बारे में भी जानकारी देती रहती हूं. इन्हीं प्रयासों के बाद क्षेत्र की तमाम गर्भवती ने संस्थागत प्रसव को अपनाया है, यह अच्छी बात है