फ़ाइलेरिया से बचाव का उपाय है फ़ाइलेरिया रोधी दवा का सेवन
श्रावस्ती। फाइलेरिया जिसे आम भाषा में हाथी पाँव कहा जाता है मच्छर के काटने से होता है। यह लाइलाज बीमारी है। अगर हो गयी तो ठीक नहीं होती है। व्यक्ति की मृत्यु तो नहीं होती है लेकिन व्यक्ति जीवन भर के लिए दिव्यांग हो जाता है। फ़ाइलेरिया से बचाव का एक ही उपाय है मच्छरों से बचना और फ़ाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना। इसी क्रम में जनपद में 10 अगस्त यानी आज से सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाया जाएगा जिसके तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर –घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा एल्बेन्डाजोल और डाईइथाइल कार्बामजीन खिलाएंगे। यह दवा दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोड़कर सभी को खानी है। फ़ाइलेरियारोधी दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है – यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय (सीएमओ) सभागार में संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित जनपद स्तरीय मीडिया कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा0 अजय प्रताप सिंह ने कही। उन्होंने सभी आमजन से अपील की कि इस अभियान में सहयोग करें। खुद भी दवा खाएं और अन्य लोगों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने बताया कि आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसिका तंत्र को नुकसान पहुंचाता हैं। फाइलेरिया रोग शरीर के लटकने वाले अंगों में होता है जैसे हाथ, पैर, महिलाओं के स्तन, पुरुषों के अंडकोष जिसे हाइड्रोसील कहते है। इससे बचाव नहीं करने पर इन अंगों में असामान्य सूजन हो जाती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में जनपद में 149 हाइड्रोसील व 233 लिम्फोडिमा के मरीज़ है। अब तक 95 फाइलेरिया रोगियों को रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यान्गता उपचार किट (एमएमडीपी) प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने सभी पत्रकार बंधुओं को कल सुबह 11 बजे कलेक्ट्रेट सभागार में होने वाले एमडीए कार्यक्रम के शुभारंभ के लिए भी आमंत्रित किया।
एसीएमओ डा0 वी0 के0 श्रीवास्तव ने बताया कि जनपद की जनसंख्या 12.82 लाख है। इसमें दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोड़कर अन्य सभी को दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया इस बार के एमडीए अभियान में 1375 टीम बनाई गई है। अभियान की शत प्रतिशत सफलता के लिए 230 सुपरवाइजर तैनात किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभियान में स्वास्थ्य कार्यकर्ता दवा अपने सामने खिलाएंगे किसी भी हालत में दवा बाद में खाने या घर ले जाने के लिए नहीं दी जाएगी। एमडीए अभियान के तहत लगातार पाँच साल तक फ़ाइलेरिया रोधी दवा खाने से इस बीमारी से बचा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद कुछ में व्यक्तियों में जी मितलाने, चकत्ते पड़ना, चक्कर आना और उल्टी आने की समस्या हो सकती है । इससे घबराने के जरूरत नहीं है । यह सकारात्मक प्रभाव हैं क्योंकि इसका मतलब है कि शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद थे और फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद शरीर में फाइलेरिया परजीवियों के खत्म होने के परिणामस्वरूप ऐसी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक है।
इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी आलोक कुमार, अपर मुख्य चिकित्सा अधिअकरी डा0 वी0 के0 श्रीवास्तव, पाथ के प्रतिनिधि- नवीन कुमार, कामेश्वर दूबे,पीसीआई के प्रतिनिधि- शुभम द्विवेदी, मीडिया बंधु सहित 15 मीडियाकर्मी मौजूद रहे।
कार्यक्रम के अंत में मुख्या चिकित्सा अधिकारी ने सभी को फ़ाइलेरियारोधी दवा खाने की शपथ दिलायी।