जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रदेश सचिव का किया गया जोरदार स्वागत
प्रथम जलसा दस्तारबंदी संपन्न
मुल्क की उन्नति व खुशहाली के लिए विशेष दुआ की गई
सीतापुर : ग्राम मतकरपुर में मदरसा अरबिया इस्लामिया हयातुल उलूम का एक विशाल प्रथम जलसा दस्तारबंदी का आयोजन हुआ. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में विश्व विख्यात धार्मिक विद्वान व जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रदेश सचिव मौलाना सय्यद हसन असजद मदनी ने बड़े हुजूम को संबोधित करते हुए कहा कि हर मुसलमान मर्द -औरत पर तीन हक है इन हुकूक में कोताही करने पर अमानत में खयानत करने वालों में आपका नाम शुमार किया जाएगा. पहला हक है कि आप मदरसे के साथ मुहब्बत कीजिए.
मदरसे के अध्यापक, बच्चों, इंतजामियां के साथ प्यार कीजिए। मदरसे की दरो दीवार से आपको प्रेम इसलिए होना चाहिए क्योंकि मदरसे के अंदर कुरआन-ए-पाक पढ़ा जाता है, बच्चों से इसलिए कि वह कुरआन शरीफ को पढ़ते हैं, टीचर्स से इसलिए कि वह कुरआन को पढ़ाते हैं। यह पाक किताब अल्लाह की है. दूसरा हक है कि आप अपने बच्चों को मदरसे के अंदर पढ़ने के लिए भेजिए क्योंकि मां-बाप पर जरूरी है कि वह अपने बच्चों को दीन सिखलाएं, दीन के तकाजों की पहचान, अल्लाह , उनके नबी, शरीयत की पहचान अच्छे बुरे की पहचान को सिखाएं.
उन्होंने आगे कहा कि पूरे मुल्क के अंदर आज मुसलमान सिर्फ ढाई से तीन फीसद बच्चों को ही मदरसों में पढ़ने के लिए भेजते हैं. बाकी 97 प्रतिशत वालिदेन अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं या उनको पढ़ाते ही नहीं। इतना बड़ी तादाद दीन से महरूम है। इस तरह आप अपने बच्चों का हक मार रहे हो. दीन नहीं सिखला रहे हो कयामत का दिन होगा अल्लाह पूछेंगे जो तुम दुनिया के अंदर जिंदगी गुजार कर आए हो वह जिंदगी दीन के मुताबिक क्यों नहीं थी. नमाज क्यों नहीं पढ़ते थे, शरीयत पर अमल क्यों नहीं करते थे, यही बच्चे तुम को पकड़ कर अल्लाह से कहेंगे, ऐ अल्लाह यह सवाल मेरे मां-बाप से पूछिए कि दीन सिखाने के लिए इन्होंने मुझे मदरसे में क्यों नहीं भेजा.
इन्होंने पैसा कमाने के लिए मुझे स्कूल भेजा और दुकानों पर बैठाया। या अल्लाह मैं नहीं जानता था पर यह तो जानते थे. मुख्य अतिथि ने कहा कि आप मदरसों की जरूरत को पूरा करिए, चाहे खाने से संबंधित, बिल्डिंग या टीचर्स की तनख्वाह हो. याद रखो अगर तुम मदरसे के अंदर पैसा खर्च करोगे अल्लाह आपको एक के बदले 10 अता फरमायेगें. ऐ मुसलमानों खूब खर्च किया करो। दुनिया से मुहब्बत मत करो, दुनिया को पैदा करने वाले से मुहब्बत करो. जिसका ताल्लुक अल्लाह पाक से जुड़ गया उसको फिक्र करने की जरूरत नहीं, अल्लाह उसको कब्ज -ए- कुदरत में ले लेते हैं. कुरआन शरीफ पढ़ोगे तो इज्जत मिलेगी नहीं पढ़ोगे तो दुनिया और आखिरत में बेवफाई, रुसवाई और जिल्लत के सिवा कुछ हाथ नहीं लगेगा.
मौलाना मुश्ताक नदवी फरंगी महली ने कहा कि रमजानुल मुबारक का पाक महीना आने वाला है. यह महीना नेकी कमाने का सीजन है. लोगों ने इसे खाने- पीने का महीना बना दिया है. जलसे से मौलाना इस्लामुल हक मजाहिरी ने भी खिताब किया. उक्त कार्यक्रम का आगाज कारी याकूब फुरकानी ने तिलावते कलाम पाक से किया. सफल संचालन जलीस दिलकश कासमी ने किया, नाते पाक हाफिज शराफत बिसवांनी कारी इरशाद साजिद ने पेश किया. संरक्षक के तौर पर हाजी बदरूद्दीन भट्टे वाले थे.
जमीयत उलमा-ए-हिंद के जिला अध्यक्ष मौलाना आसिम इकबाल नदवी और जनरल सेक्रेटरी मौलाना वकील कासमी के नेतृत्व में दर्जनों कार्यकर्ताओं के संग मेहमाने खुसूसी व प्रदेश सचिव मौलाना सय्यद हसन असजद मदनी का मतकरपुर जलसे में फूलों की वर्षा व नारों के साथ भव्य स्वागत किया गया। इसके अलावा बिसवां में कई चौराहों पर भी इस्तकबाल किया गया। सामाजिक कार्यकर्ता मुहम्मद इकराम अंसारी द्वारा मंचासीन अतिथियों का बैज अलंकरण के साथ खैरमकदम किया गया। इस दौरान सात बच्चों के सिर पर दस्तार बांधकर उपहार व कुरआन -ए- पाक के साथ हिफ्ज की उपाधि दी गई.
जलसा दस्तारबंदी का समापन मुल्क की एकता, खुशहाली और तरक्की की दुआ पर हुआ। अंत में कार्यक्रम संयोजक हाफिज असलम नूरी ने आभार व्यक्त किया। महिलाओं के भी बैठने के उचित प्रबंध किए गए.
इस मौके पर हाफिज सुहेल, अफजाल कौसर, वहाजुद्दीन ग़ौरी, मुहम्मद असद अंसारी, होली राम यादव, आनंद शुक्ला, दीपू वर्मा, राम कुमार त्रिवेदी, हाफिज समीउद्दीन आदि मौजूद रहे.