जिक्रे शोहदाए कर्बला का आयोजन कर इमाम हुसैन को किया याद
सीतापुर: 10 मोहर्रम यौमे आशूरा के मौके पर मियांगंज स्थित दारुल उलूम मोइनियां रहमानियाँ नूरी मस्जिद में जिक्रे शोहदाए कर्बला का आयोजन कर इमाम हुसैन को याद किया गया। मजलिस का आगाज तिलावते कुरआन से हाफिज कुर्बान अली ने किया व निज़ामत मौलवी इस्माईल कादरी ने की। मजलिस से खिताब करते हुए मौलाना फैज़ान हुसैन कादरी ने कहा कि कर्बला से हमें सब्र करते हुए हक पर डटे रहने का सबक मिलता है।
क्यूंकि कर्बला के मैदान में नबी के नवासे इमाम हुसैन ने सब्र करते हुए अपने पूरे खानदान को कुर्बान कर दिया लेकिन सच का रास्ता नहीं छोड़ा और झूठ का साथ नहीं दिया जिससे आज भी कर्बला में शहीद हुए 72 लोगो को दुनिया याद करती है जबकि यजीद की 22 हज़ार की फौज लोगो के दिलों से मर चुकी है। उन्होंने कहा कि नबी पाक के मुताबिक इमाम हुसैन जन्नती नौजवानों के सरदार है इसलिए जिसने उन्हें दुनिया में सरदार माना है वही जन्नत में जाने का हकदार है। कर्बला का वाकया हमें सबक देता है कि कितनी ही मुश्किलें आए कितने ही जुल्म किए जाएं लेकिन हमें हक पर कायम रहते हुए इंसानियत का सबूत देना है।
उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने सर कटाकर भी जुल्म के सामने सर नहीं झुकाया और नबी के दीन को शहीद होकर भी बचा लिया इसीलिए क़यामत तक हम उन्हें यूंही खिराजे अकीदत पेश करते रहेंगे। मजलिस में मौलाना सय्यद नसीर, मौलवी शहबाज़ वाहिदी, हाफिज़ मेराज अकमल, मौलाना जीशान शकाफी ने भी खिताब किया। हाफिज कमालुद्दीन बरकाती, हाफिज़ शाहनवाज़ , कफील बिस्वानी, हाफिज़ अदनान रज़ा, शहज़ादे हुसैन, एहसान हुसैन ने मनकबत पढ़कर खिराजे अकीदत पेश की। मजलिस के बाद स्थानीय लोगों ने शबील लगाकर शर्बत बांटा। इस मौके पर तबस्सुम हुसैन कादरी, सय्यद हुसैन कादरी, महबूब अली, रेहान कादरी, सलमान रजा, ज़ीशान रज़ा, समेत बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।