Surya Satta
उत्तर प्रदेश

पॉयलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद सूबे में लागू होगा ई-वाउचर मॉडल

 

सीतापुर : निजी जांच केंद्रों पर ई-वाउचर से अब गर्भवती अपनी जांच करा सकती हैं. सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर अल्ट्रासाउंड व अन्य जांचों की सुविधा न होने पर गर्भवती को इन जांचों की सुविधा निजी जांच केंद्रों पर मिलेगी, और इसके लिए उन्हें कोई भी शुल्क भी नहीं देना होगा. इस नई व्यवस्था को पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर जिले की लहरपुर और सिधौली सीएचसी पर चलाया गया. इस प्रयोग के सफल होने के बाद प्रदेश सरकार के निर्देश पर इस अनूठी व्यवस्था को पूरे प्रदेश में लागू किया जा रहा है.

 

जिले में 19 ब्लॉक सीएचसी सहित जिला महिला चिकित्सालय है. हर साल करीब 5,500 महिलाओं को प्रसव संबंध जांच करानी पड़ती है. अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड मशीनें हैं, लेकिन कहीं मशीन खराब है, तो कहीं रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती नहीं है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को निजी जांच केंद्रों का सहारा लेना पड़ता है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एक नई कार्य योजना तैयार की है. इसके तहत सीएचसी आने वाली गर्भवती का पंजीयन किया जाएगा. किसी कारणवश वहां अल्ट्रासाउंड व अन्य जांच नहीं हो पा रही है तो उन्हें निजी जांच केंद्रों पर भेजा जाएगा। जांच का खर्च सरकार उठाएगी. इसके लिए आसपास मौजूद निजी डायग्नोसिस सेंटरों को सीएचसी से संबद्ध किया जा रहा है. गर्भवती को जांच के लिए सीएचसी प्रभारी ई-वाउचर देंगे. मोबाइल पर मिलने वाले इस ई-वाउचर को दिखाकर गर्भवती संबंधित निजी जांच केंद्रों पर जांच कराएगी. इस जांच का व्यय संबंधित सीएचसी द्वारा संबंधित जांच केंद्र को दिया जाएगा. ई-वाउचर व्यवस्था के ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया के लिए स्वास्थ्य विभाग ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से करार किया है. सिधौली और लहरपुर सीएचसी के बाद अब यह सुविधा जिले की अन्य सीएचसी पर भी इसी माह शुरू हो जाएगी.

 

ऑनलाइन पंजीकरण से बनेगी बात

 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुजीत वर्मा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को निजी जांच केंद्रों पर मिलने वाली सुविधा ई-वाउचर को पहले पॉयलट प्रोजेक्ट के रूप में दो सीएचसी पर चलाया गया. इसके सफल होने के बाद इसे अब पूरे जिले में लागू किया जा रहा है. इस ई-वाउचर व्यवस्था से आशा कार्यकर्ताओं को भी जोड़ा जाएगा. ये कार्यकर्ता गांव की महिलाओं के नियमित संपर्क में रहती हैं. वह गर्भ धारण करते ही महिलाओं का ऑनलाइन पंजीकरण करती हैं. यही पंजीकरण उनके अल्ट्रासाउंड जांच में काम आएगा. निजी डायग्नोस्टिक सेंटर पर एक बार के अल्ट्रासाउंड पर 1,000-1,200 रुपये खर्च होते हैं. चार से पांच जांच पर 4,000-6,000 रुपये तक खर्च होते हैं। नई सुविधा से गर्भवती को बड़ी राहत मिलेगी.

 

पीपीपी मॉडल का हिस्सा

 

सीएमओ डॉ. मधु गैरोला का कहना है कि मातृ-शिशु स्वास्थ्य को लेकर हर स्तर पर सावधानी बरती जा रही है. गर्भवती व प्रसूता की जांच में किसी तरह की समस्या न आए, इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. रेडियोलॉजिस्ट की संख्या बढ़ाई जा रही है. मशीनें भी लगाई जा रही हैं. जहां सुविधा नहीं है वहां पीपीपी मॉडल अपनाया जा रहा है. ई-वाउचर का सिस्टम भी पीपीपी मॉडल का एक हिस्सा है. इससे गर्भवती महिलाओं की जांच निर्धारित समय पर हो सकेगी. उन्हें किसी तरह की समस्या नहीं होगी.

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