हरेकाला संतरा बेचकर जुटाए पैसे से खोला स्कूल, राष्ट्रपति ने पद्मश्री से किया सम्मानित
नई दिल्ली। मंगलुरु में संतरे बेचने वाले 64 वर्षीय हरेकाला हजब्बा (Harekala Hajabba) को सोमवार को पद्मश्री सम्मान(Padma Shri Award) से सम्मानित किया गया. हजब्बा को यह सम्मान शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक कार्य के लिए दिया गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद(President Ram Nath Kovind) ने राष्ट्रपति भवन(President’s House) में हजब्बा को देश के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक पद्मश्री से नवाजा. अक्षर संत कहे जाने वाले हजब्बा को कभी खुद स्कूल में औपचारिक शिक्षा नहीं मिली.
जमापूंजी से हरेकाला हजब्बा ने अपने गांव में खोला स्कूल
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ा के न्यूपाड़ापू गांव के रहने वाले हरेकाला हजब्बा ने अपने गांव में अपनी जमापूंजी से एक स्कूल खोला. इसके साथ ही वह हर साल अपनी बचत का पूरा हिस्सा स्कूल के विकास के लिए देते रहे. हजब्बा को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा 25 जनवरी 2020 में ही हुई थी, लेकिन फिर कोरोना महामारी के चलते समारोह का आयोजन नहीं हो सका.
मंगलुरु के रहने वाले इस अशिक्षित फल विक्रेता हजब्बा ने शहर से 35 किमी दूर अपने गांव न्यूपाड़ापू में अपने गांव के बच्चों को शिक्षा देने के लिए एक स्कूल खोला है. गांव में स्कूल न होने के चलते पढ़ाई न कर पाने वाले हजब्बा ने अपने गांव के बच्चों के विकास के बारे में सोचा और तमाम चुनौतियों से जूझते हुए स्कूल शुरू किया. स्कूल की जमीन लेने और शिक्षा विभाग से इसकी मंजूरी लेने के लिए उन्होंने ए़ड़ी चोटी का जोर लगाया. 1995 से शुरू किए गए हजब्बा के इन प्रयासों को 1999 में सफलता मिली जब दक्षिण कन्नड़ जिला पंचायत ने 1999 में उनके स्कूल को मंजूरी दे दी.
शुरुआती तौर पर हजब्बा का लोवर प्राइमरी स्कूल जिसे हजब्बा अवरा शाले के नाम से भी जाना जाता था एक मस्जिद में चलता था. बाद में हजब्बा ने जिला प्रशासन की ओर से 40 सेंट जमीन मिल जाने के बाद वहां तमाम क्लासरूम का निर्माण कराया.
संतरे बेचकर हजब्बा को जो भी रकम मिलती थी उससे उन्होंने इस स्कूल का निर्माण कराया. अब उनका सपना है कि वह आने वाले समय में अपने गांव में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज का निर्माण कराएं