सुपर-30′ की तर्ज पर चल रही रूचि की ‘अनूठी पाठशाला
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आर्थिक रूप से कमजोर रूचि ने गरीब बच्चों को शिक्षित करने का उठाया बीड़ा
सीतापुर : आईआईटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए देशभर में चर्चित संस्थान ‘सुपर-30’ के संस्थापक आनंद कुमार के बारे में आज हर कोई जानता है. बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता ऋतिक रोशन ने उनकी जीवन पर फिल्म भी बनाई है. इन्हीं आनंद की प्रेरणा का अब असर दिखने लगा है. आनंद से प्रेरित होकर कस्बे के मुहल्ला अमर नगर मलिन बस्ती की रहने वाली 23 वर्षीया युवा रूचि वर्मा भी इसी तरह की एक कोचिंग चला रही है. रूचि ने गरीब छात्र-छात्राओं को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है. खास बात यह है कि इसके बदले में रूचि किसी भी बच्चे से कोई शुल्क नहीं लेती है.
परास्नातक की छात्रा रूचि वर्मा के घर के आसपास रहने वाले अधिकांश परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं। ऐसे में कई बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहें हैं और कई बच्चे पढ़ाई में कमजोर हैं। इसे देखते हुए कई परिवारों ने रूचि से अपने बच्चों को कुछ समय देने का आग्रह किया. जिस पर रूचि ने अपने घर के बाहर बने बरामदे में ऐसे बच्चों को शिक्षित करने की योजना बनाई. अब से तीन साल पहले रूचि ने इस अनूठी पाठशाला की बुनियाद रखी. वर्तमान में उसके पास आसपास के 36 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. रूचि की पाठशाला में कक्षा एक से कक्षा पांच तक के बच्चे पढ़ रहे हैं. इनमें से स्कूल न जाने वाले बच्चों को वह पूरी तरह से शिक्षित कर रही है, साथ ही जो बच्चे जिस भी विषय में कमजोर हैं, वह सभी बच्चे शाम को रूचि की पाठशाला पर एकत्र होकर संबंधित विषय को पढ़ते हैं.
रूचि बताती है कि वह खुद एक गरीब परिवार से हैं. उसका सपना उच्च शिक्षा हासिल करने का है, लेकिन आर्थिक तंगी मेरी शिक्षा में बाधक बनी है. मैं नहीं चाहती हूं कि मेरी ही तरह कोई बच्चा प्राथमिक शिक्षा से वंचित रह जाए, इसलिए मैं बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रही हूं. बच्चों को जो भी विषय स्कूल में पढ़ाए जाते हैं, मैं प्रतिदिन उन्हें बच्चों को फिर से पढ़ाती हूं, जिससे कि वह हर विषय को अच्छी तरह से समझ लें. इस पाठशाला के चॉक, डस्टर आदि का खर्च समाजसेवी एवं सेवा भारती संस्था के बिसवां इकाई के अध्यक्ष नारायण अग्रवाल वहन करते हैं. नारायण अग्रवाल बताते हैं कि रूचि की पाठशाला में राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर ध्वजारोहण भी किया जाता है. इन मौके के अलावा अन्य अवसरों पर बच्चों को मिष्ठान भी वितरित किया जाता है. जिसका व्यय भी नारायण अग्रवाल द्वारा वहन किया जाता है.
क्या कहते हैं एसडीएम
बिसवां के उप जिलाधिकारी पीएल मौर्या ने गरीब बच्चों को शिक्षित करने जैसे पुनीत कार्य के लिए रूचि वर्मा को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि अभी ऐसे कई ‘समझदारों’ को इस देश की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जब तक समाज में योग्य शिक्षक नहीं बनेंगे तब तक भारत के विश्वगुरु बनने का सपना साकार नहीं हो सकता है.