फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जन भागीदारी जरूरी: डॉ. आनंद मित्रा
सीतापुर। फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाली एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति जीवन भर के लिए दिव्यांग हो जाता है। फाइलेरिया से बचाव के लिए मच्छरों से बचाव कर और फाइलेरियारोधी दवा का सेवन कर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। यह बात सीएचसी अधीक्षक डॉ. आनंद मित्रा ने राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान के शुभारंभ मौके पर कही।
इस मौके पर लहरपुर सीएचसी अधीक्षक समेत सीएचसी के अन्य स्वास्थ्य चिकित्सकों, कर्मियों एवं मरीजों के तीमारदारों ने सामूहिक रूप से फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन किया। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर–घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा आईवरमैक्टिन, एल्बेन्डाजोल और डाईइथाइल कार्बामजीन खिलाएंगे। यह दवा दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोड़कर सभी को खानी है।
इस दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। सीएचसी अधीक्षक ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की सफलता के लिये जन भागीदारी जरूरी है। उन्होंने सभी आमजन से अपील की कि इस अभियान में सहयोग करें। खुद भी दवा खाएं और अन्य लोगों को भी दवा खाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं से कहा कि वह फाइलेरिया से बचाव की दवा अपने सामने ही खिलाएंगी, किसी भी दशा में दवा का वितरण न करें। फाइलेरिया रोधी दवा एक साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित को छोड़कर सभी को करनी है।
उन्होंने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद कुछ ,व्यक्तियों में जी मितलाने, चकत्ते पड़ना, चक्कर आना और उल्टी आने की समस्या हो सकती है। इससे घबराने के जरूरत नहीं है। फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद शरीर में फाइलेरिया परजीवियों के खत्म होने के कारण इस तरह के लक्षण होते हैं। यह लक्षण कुछ देर में समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है।