राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस की सफलता को बनाई मॉनीटरिंग कमेटी
दवा खाने से कोई न छूटे, इसको लेकर सीडीओ की अनूठी पहल
श्रावस्ती : राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस यानि नेशनल डीवॉर्मिंग डे (एनडीडी) का आयोजन शुक्रवार (10 फरवरी) को किया जाएगा. इसके तहत एक से 19 साल तक के बच्चों व किशोर-किशोरियों को पेट से कीड़े (कृमि) निकालने की दवा (एलबेंडाजॉल) खिलाई जाएगी. इस दिन दवा खाने से छूटे हुए बच्चों को 13-15 फरवरी तक मॉप अप राउंड चला कर दवा खिलाई जाएगी. इस अभियान के दौरान कोई भी पात्र दवा खाने से वंचित न रहे, इसको लेकर मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अनुभव सिंह ने एक विशेष कार्य योजना तैयार की है.
इस अभियान को सफल बनाने के लिए सीडीओ ने ब्लॉकवार ब्लॉक स्तरीय मॉनीटरिंग कमेटी का गठन किया है. इन कमेटियों में संबंधित एडीओ पंचायत, सीएचसी अधीक्षक, पीएचसी प्रभारी, बाल विकास परियोजना अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, बीसीपीएम, बीपीएम व हेल्थ पार्टनर को शामिल किया गया है. यह सभी अधिकारी दस फरवरी को कम से कम 7-8 केंद्रों का निरीक्षण कर सीडीओ द्वारा तैयार किए गए एक निर्धारित प्रोफार्मा पर अपनी रिपोर्ट देंगे. रिपोर्ट में इस बात को अवश्य शामिल किया जाएगा कि निर्धारित केंद्र पर कुल कितने पात्र बच्चे व किशोर-किशोरियां पंजीकृत हैं और कितनों को गोली खिलाई गई है.
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) की नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ. पुष्पलता ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य कुपोषण को दूर करना है. इसी क्रम में हर साल दो बार पेट के कीड़े निकालने वाली दवा खिलाई जाती है. पेट में कीड़े होने के चलते बच्चे और किशोरों में खून की कमी हो जाती है, दरअसल कीड़े पूरा पोषण खा जाते हैं और बच्चे को कुपोषित बना देते हैं. उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत जिले के कुल 5,36,626 बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाने का लक्ष्य है. इसमें से 1,285 सरकारी विद्यालयों के 1,85,179, 270 बच्चे, निजी विद्यालयों के 89,413 बच्चे, 925 आंगनबाड़ी केंद्रों के 2,11,132 और 60,902 स्कूल न जाने वाले बच्चों और घूमंतु व ईंट-भट्ठों आदि जगहों पर काम करने वाले श्रमिक बच्चों को शामिल किया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि छोटे बच्चों को गोली पीसकर दी जानी है जबकि बड़े बच्चों को इसे चबाकर ही खाना है.
आरकेएसके की जिला समंवयक बबीता बाजपेयी ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत बच्चों, स्कूल न जाने वाले बच्चों और किशोर-किशोरियों, घूमंतु व ईंट-भट्ठों आदि जगहों पर काम करने वाले श्रमिक बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से एलबेंडाजॉल की गोली खिलाई जाएगी. स्कूल जाने वाले बच्चों को शिक्षक-शिक्षिकाओं के माध्यम से पेट के कीड़े निकालने वाली दवा खिलाई जाएगी. इस दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जाएगा. ब्लॉक स्तर पर सरकारी और निजी विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिकाओं, एएनएम व सीएचओ को प्रशिक्षण देने के बाद इन्हें वहीं पर आवश्यकतानुसार इन्हें दवाएं उपलब्ध करा दी गई हैं.
क्या कहते हैं सीडीओ
इस अभियान के तहत कोई भी पात्र बच्चा अथवा किशोर-किशोरी एलबेंडाजॉल की गोली खाने से वंचित न रहे, इसको लेकर एक रणनीति बनाई गई है. इस संबंध में बैठक कर अधिकारियों को निर्देशित किया जा चुका है कि इसमें जिन अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है, वह दस फरवरी को अपने क्षेत्र के स्कूल, कॉलेज, आंगनबाड़ी केंद्र, ईंट-भट्ठे आदि जगहों का निरीक्षण कर उसी दिन शाम को रिपोर्ट करेंगे कि कितने बच्चों ने दवा खाई और कितने छूट गए हैं. इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.