जागरूकता की रोशनी से नेत्रहीनों के जीवन में भर रहे उजाला
सीतापुर। महर्षि दधीचि की तपस्थली में देहदान और नेत्रदान की परंपरा बढ़ती जा रही है। नेत्रदान-महादान, सीतापुर के बाशिंदों के लिए यह महज एक नारा नहीं है। यहां के लोग नेत्रदान के महत्व को भली भांति समझ चुके हैं. यही कारण है कि यहां लोग अब जागरूकता की रोशनी से दूसरों के जीवन में खुशियां बिखेरने में पीछे नहीं हैं. जिले में सक्षम संस्था की ओर से नेत्रदान की शुरुआत फरवरी 2008 में की गई.
सक्षम संस्था के राष्ट्रीय महामंत्री अविनाश अग्निहोत्री ने नागपुर (मध्य प्रदेश) से सीतापुर आकर नेत्रदान की शुरुआत की। उन्होंने शहर के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. प्रमोद धवन, सुभाष अग्निहोत्री, महेश अग्रवाल, स्व. यशवंत शाह, स्व. रमेश अग्रवाल आदि प्रबुद्ध लोगों को अपने अभियान से जोड़ा. मार्च 2008 में शहर के स्वरूप नगर मोहल्ला निवासी व्यापारी पृथीपाल सिंह का पहला नेत्रदान हुआ.
इसके बाद सक्षम संस्था का विस्तार करते हुए अक्टूबर 2008 में व्यापारी नेता संदीप भरतिया को जिलाध्यक्ष, मुकेश अग्रवाल को महामंत्री और विकास अग्रवाल को मीडिया प्रभारी के रूप में संस्था में शामिल किया गया. इस युवा टीम ने नेत्रदान को गति देने का काम किया. इस युवा टीम ने सीतापुर आंख अस्पताल के साथ मोतियाबिंद शिविरों में जाकर लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक किया. सक्षम संस्था की ओर से 220 नेत्रदान कराए जा चुके हैं. इन सभी कॉर्निया को सीतापुर आंख अस्पताल की सीएमओ कर्नल डॉ. मधु भदौरिया की देखरेख में प्रत्यारोपित किया जा चुका है.
क्या कहते हैं जानकार
सीतापुर आंख अस्पताल की सीएमओ कर्नल डॉ. मधू भदौरिया का कहना है कि नेत्रदान कम होने से जरूरतमंदों के जीवन का अंधेरा दूर नहीं हो पा रहा है. नेत्रदान के प्रति लोगों को जागरूक करना एक साझा प्रयास है. इसके लिए हर किसी को आगे आने की जरूरत है. मृत्यु के छह से आठ घंटे के अंदर कॉर्निया निकाल लिया जाना चाहिए. कॉर्निया निकालने में 15-20 मिनट लगते हैं.
कौन कर सकता है नेत्रदान
सक्षम संस्था के जिलाध्यक्ष संदीप भरतिया कहते हैं कि किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति मृत्योपरांत ही नेत्रदान कर सकता है। कैंसर, बलड प्रेशर और शुगर के मरीज भी नेत्रदान कर सकते हैं। लेकिन एड्स, सिफलिस, रक्त संबंधी इन्फेक्शन और रेबीज के मरीज कॉर्निया दान नहीं कर सकते हैं, उनका यह भी कहना है कि नेत्रदानी परिवार को संस्था द्वारा सम्मानित भी किया जाता है.
कैसे होता है नेत्रदान
नेत्रदान करने के लिए आपको किसी आई बैंक में जाकर अपना पंजीकरण कराना होता है. आई बैंक द्वारा आपसे एक फार्म भरवाया जाता है, जिसमें आपको यह घोषणा करनी होती है कि आप स्वेच्छा से मृत्यु के बाद अपनी कॉर्निया दान करना चाहते हैं। यदि किसी व्यक्ति ने पंजीकरण नहीं कराया है तो उसके परिवारीजन आईबैंक को जानकारी देकर कॉर्निया दान कर सकते हैं.