वन महोत्सव पक्ष” में वैज्ञानिकों और पत्रकारों ने एक स्वर में कहा, पर्यावरण को बचाना है तो जड़ों की ओर लौटना होगा : . बनवारी शर्मा
अखिलेश मिश्रा
सीतापुर : प्लास्टिक ऐसी चीज है जो डीग्रेड नहीं हो सकती, रिसाइकल हो सकती है. सिंगल यूज़ प्लास्टिक को तो रिसाइकल भी नहीं हो सकती है. यही प्लास्टिक धीरे-धीरे हमारे खेतों में और पानी के जरिये हमारे और दूसरे जानवरों के शरीर में पहुँच रही है. जो हो चुका उसे बदला नहीं जा सकता, इसी प्लास्टिक का कहीं और इस्तेमाल किया जा सकता है. डॉक्टर बनवारी शर्मा गुरूकुल, नैमिषारण्य, सीतापुर में आयोजित “वन महोत्सव पक्ष” के पहले दिन सीडीआरआई के प्रवक्ता व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कोल्ड ड्रिंक की बड़ी-बड़ी कंपनियों से 2 लाख टन से भी ज्यादा प्लास्टिक कचरा निकलता है.
इसके अलावा हमलोग अरबों टूथपेस्ट व ब्रश प्रयोग करते हैं वह अन्ततः कचरे में बदल जाता है. इसके बजाय यदि दातुन का प्रयोग करें तो ओरल कैंसर से बचा जा सकता है साथ ही प्लास्टिक से होने वाले अन्य कैंसर से बचा जा सकता है.
डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि हमें अपने जड़ों से जुड़ना होगा, जैसे कि सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाला पेड़ पीपल गांवों से भी गायब होता जा रहा है. उन्होंने भगवान राम का उदाहरण देकर बताया कि पंचवटी के पेड़ों के कारण उनका बनवास काल स्वास्थ्य पूर्ण रहा. लू सदैव पुरवइया से चलती है और पश्चिम में बरगद का पेड़ होने से लू ठंडी हवा में बदल जाती है. बेल से पेट सही रहता है और आंवले से इम्यूनिटी.
इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लालजी ने बताया कि प्लास्टिक और्गेनिक कचरे के डिकम्पोज नहीं होता है और अंततः हमारे शरीर में जाता है. हमें निस्तारण की ऐसी योजना बनानी होगी जिसमें पंचायतों की सक्रिय भागीदारी हो जैसे प्लास्टिक का प्रयोग निर्माण कार्य में किया जाए. उन्होंने सबसे अधिक समस्या सिंगल यूज्ड प्लास्टिक के कम प्रयोग पर बल दिया.
इस कार्यक्रम में बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आर-एस सिंह ने बताया कि प्लास्टिक को समाप्त नहीं किया जा सकता इसके उपयोग को बदला जा सकता है। आज लकड़ियों के मिश्रिण कई सामग्री बनाई जा रही है जो बायो डिग्रीधारी है.
लखनऊ विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शाम्भवी मिश्रा ने बताया कि आज जो प्लास्टिक प्रयुक्त हो रही है उसमें सिंगल यूज वाली प्लास्टिक 50% है जिसका प्रयोग रोकना आवश्यक है। यह जमीन की उत्पादन क्षमता घटाती है तथा वायु में माइक्रो मॉल्क्यूल्स के रूप में बदलकर सांसों की समस्या बढाती है.
कार्यक्रम में मौजूद पर्यावरणविद अरुणेन्द्र श्रीवास्तव ने शपथ दिलाई कि सिंगल युज्ड प्लास्टिक का प्रयोग आज से रोकेंगे.
महान ज्योतिष सप्तर्षि महर्षि सुषैन ने कहा कि आखिर प्लास्टिक का आविष्कार ही क्यों? हम मनुष्य पहले समस्या उत्पन्न करते हैं फिर समाधान की बात करते हैं. शिक्षाविद सुजीत कुंतल ने बच्चों को सामाजिक व पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय सहभागिता के लिए तैयार करने पर बल दिया.