नैमिषारण्य में हुआ भव्य कवि सम्मेलन
सीतापुर। नैमिषारण्य के वृद्ध आश्रम में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें बुजुर्गों ने कवियों की रचनाओं को सुनकर खूब ठहाके लगाये, बुजुर्ग वाह भाई वाह कहते नजर आये. तो किसी किसी बुजुर्ग की आंखों में नमी भी दिखी. संयोजक रोहित विश्वकर्मा ने वाणी वन्दना से कार्यक्रम का आगाज करते हुए पढ़ा कि हे मातु वीणापाणि कुछ मुझ पर भी तो उपकार कर दो, छोटी कलम की नाव माँ मझधार में है पार कर कर दो.
ओजस्वी कवि राजेश बाबू अवस्थी ने पढ़ा कि किसी हाल में भारत माँ की शान नहीं जाने देंगें. जाया बीस बांकुरों का बलिदान नहीं जाने देंगें। देवेंद्र कश्यप निडर ने माॅं का बखान करते हुए पढ़ा कि माँ से बढ़कर इस दुनिया में होती कुछ सौगात नहीं, बिन माँ के घर में खुशियों के खिलते हैं जज्बात नहीं, जिस माँ ने हमको लिख डाला प्यार लुटाया रातों दिन उस पर मैं कविता लिख दूँ यह मेरी औकात नहीं. अनिल यादव अनिकेत ने पढ़ा वृद्धाश्रम राखे पितर, ना आई कुछ लाज l पितृपक्ष में श्राद्ध का, करता ढोंग समाज. गजलगो पिंकी प्रजापति ने पढ़ा कि मेरी उल्फ़त का हमको सिला ये मिला खो गई है मेरी ज़िन्दगी दोस्तों.
रण विजय सोमवंशी ने पढ़ा कि विपति कोई कभी आये अगर मुझ पर यकीं मानों, पिता और मां के चरणों के अंगूठे चूम लेता हूँ. अवधी में रामेन्द्र सिंह राज ने परिवारिक व्यंग्य पढ़ा भई हइ सगाई तो आफति हइ आई इनका जगाई कि उनका जगाई।। कौआ चिरइया मुड़ेरी वे बोलहि, मगर दोनों सोए किवारा न खोलहिं. राजकुमार सिंह प्रखर ने पढ़ा उत्तर में हिमगिरि दक्षिण में जलधि धो रहा चरण ललाम, ऐसे भारत की माटी को मेरा शत-शत बार प्रणाम. सुमन मिश्रा ने पढ़ा ज्ञान की देवी मइया कृपा किजिये, हाथ सर पे मेरे अपना रख दिजिये,
कार्यक्रम का संचालन करते हुए आर बी शर्मा ने पढ़ा कि काशी जाए गंग नहाए घण्ट हिलाए क्या होगा? दरगाहों पर चादर ताने हज करि आए क्या होगा? घर में जब माँ-बाप तुम्हारे रोज उपेक्षित हो रिया. गणपति बप्पा मोरिया-गणपति बप्पा मोरिया. बदायूॅ से अल्का गुप्ता, अर्जुन श्रीवास्तव, देवेंद्र चौहान ने भी काव्यपाठ किया.
इस मौके पर देवेंद्र सिंह, गीता सिंह, शिवकुमार, शिवप्रसाद, श्रीराम, विश्वनाथ सहित सैकड़ों श्रोता मौजूद रहे.