Surya Satta
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हिंदी की महिमा

 

कामिनी व्यास रावल
उदयपुर/राजस्थान।

तुम्हें कहें संस्कृत सुता, जन -जन पर है राज |
भगिनी को भी ले चले,कितना बढ़िया काज ||

बैर किसी से है नही, रखती है समभाव |
सदा संग सब के रही, ऐसा मधुर स्वभाव ||

तुम्हीं सिंधु साहित्य हो ,भारत का अभिमान |
तुम्हीं बढ़ाती ही रही , हिन्द देश का मान ||

साधक हिन्दी के बने हम सब की पहचान |
चमके हिन्दी विश्व में ,यही हमारी शान

हिन्दी में हो काज सब , हिन्दी का ही गान |
बने राष्ट्रभाषा सदा,हम सबका आह्वान ||

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