किसान खेतों की नहीं कर पा रहे सिचाई, 22 साल से बंद पड़ा नलकूप
सीतापुर। देश में सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. वहीं क्षेत्र के बहुत से सरकारी नलकूप खराब पड़े हुए हैं. ऐसे में किसानों को सिंचाई के लिए बारिश का इंतजार करना पड़ता है या वे निजी संसाधन से खेतों की सिंचाई कर रहे हैं. ऐसे में उनका आर्थिक बजट बिगड़ रहा है.
विकास खंड गोंदलामऊ क्षेत्र के तेरवा गांव में सन 1983 में राजकीय नलकूप संख्या 239 स्थापित किया गया था. नलकूप का निर्माण होने से किसानों को खेती करने में बहुत आसानी हो गई थी. लेकिन बीते 22 साल से यह नलकूप खराब पड़ा है. मोटर खराब होने से इस क्षेत्र के लगभग सौ एकड़ भूमि की सिंचाई बाधित हो रही है. इसके चलते किसानों को परेशानी के साथ ही निजी संसाधनों से सिंचाई करने में आर्थिक चपत भी लग रही है.
स्थानीय किसान राजेश शुक्ला व अरविंद कुमार पाण्डेय ने बताया कि यहां लगभग 39 साल पहले नलकूप स्थापित किया गया था. आसपास के कई गांवों की सिंचाई व्यवस्था इसी नलकूप पर निर्भर थी. लेकिन बीते 22 साल से यह नलकूप खराब पड़ा हुआ है. ग्रामीणों द्वारा अधिकारियों से दर्जनों बार शिकायते की गई लेकिन मामला संज्ञान में नहीं लिया गया.
जिसके बाद ग्रामीणों द्वारा ततकालीन विधायक हरगोविंद भार्गव से की गई. बन्द पड़े राजकीय नलकूप का मुद्दा विधानसभा में उठाया गया. जिस बाद पिछले वर्ष नलकूप विभाग द्वारा नये मोटर को बोर में डाल कर टरबाइन से मात्र एक दिन के लिए चलाया गया था विभाग के कर्मचारियों ने नलकूप पर विधुत आपूर्ति ना होना बताकर मोटर पुन: अपने साथ लेकर चले गये.
जिसके बाद ग्रामीणों द्वारा अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से इस समस्या की शिकायत की गई तो दो माह पूर्व विधुत विभाग द्वारा नलकूप नया ट्रांसफार्मर रखकर विधुत आपूर्ति चालू कर दी गई है उसके बाद भी नलकूप विभाग के अधिकारियों द्वारा बोरबेल में अभी तक मोटर नही डाला गया है जिससे किसानों द्वारा बोई गई गेंहूँ की फसल की सिचाई नही हो पा रही है.
इस सम्बंध में नलकूप विभाग के जेई जील कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया पाईप मोटर आदि का स्टीमेट बनाकर विभाग को भेजा जा चुका है हफ्ते दस दिन में नलकूप को चालू करा दिया जायेगा.