सिद्धार्थ बुद्ध विहार हरदोइया में धूमधाम से मनाया गया डॉ.आम्बेडकर जन्मोत्सव समारोह
आकर्षण का केंद्र रही डॉ.आम्बेडकर की मनमोहक झांकियां
डाॅ. आम्बेडकर द्वारा किये गए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता: अशोक प्रजापति
सीतापुर : भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव आम्बेडकर का जन्मोत्सव समारोह तहसील सिधौली क्षेत्र के ग्राम हरदोइया में में परंपरागत तरीके से बड़े ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. ढोल नगाड़े, बैंड बाजे, डीजे, ब्रासबैंड व भागड़े के साथ भव्य शोभा यात्रा दर्जनों गांवों से भ्रमण करते हुए सिद्धार्थ बुद्ध विहार हरदोइया में निकाली गई. शोभा यात्रा में डॉ. आम्बेडकर, रमाबाई आम्बेडकर, तथागत बुद्ध, ज्योतिबाराव फुले, छत्रपति शाहूजी महाराज आदि महापुरुषों के जीवन पर आधारित तरह-तरह की मनमोहक झाकियां लोगों का आकर्षण का केंद्र रही.
झांकियों के साथ बैंडबाजे, ढोल नगाढ़े की धुन पर नन्हें-मुन्ने बच्चे, नौ जवान, महिलाएं बाबा साहब के गीत और जयकारें लगाने से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था. शोभा यात्रा में राजेश्वरदयालपुर, भुचकैली, तेलईगांव, जलालपुर, हरदोइया, सीरगंज, सहजिदपुर, भीमनगर, सरवा, छांजन, रघुराजपुर, बनियानी, बिशुनदासपुर, सीतारसोई शिवपुरी, लालपुर, सुंदरनगर, सोनारी, नरायनपुर, उंचाखेरा अजई, खेरवा, चंदनपुर आदि गांवों से झांकिया सम्मिलित रही. दोपहर में भारी जन सैलाब के साथ हजारों की संख्या में बच्चे, युवा, महिलाएं, पुरुष, बौद्ध भिक्षु बड़े उत्साह के साथ इक्ट्ठे हुए. तत्पश्चात सिद्धार्थ बुद्ध विहार से शोभा यात्रा शुरु होकर पूरे गांव का भ्रमण किया गया. इसके बाद सिद्धार्थ बुद्ध विहार पहुंच कर जनसभा के रूप में परिवर्तित हो गई. डॉ.अम्बेडकर और तथागत बुद्ध की प्रतिमा पर अुनयायियों ने फूल माला अर्पित कर उन्हें श्रद्धांसुमन याद किया.
भारतरत्न डॉ.भीमराव आम्बेडकर के 132 वें जन्मोत्सव समारोह के विशेष मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक अशोक प्रजापति ने सिद्धार्थ बुद्ध विहार हरदोइया के खचाखच भरे ग्राउंड में नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि डा भीमराव आम्बेडकर ने जो संविधान रचा है उसे विश्व के कई देशों ने तारीफ की है. उन्होंने कहा कि डॉ आम्बेडकर वह शख़्शियत थे जिन्होंने अपनी योग्यता विद्वता से भारत का ललाट ऊँचा किया है. समानता के सिद्धान्तों की खोज कर भारत के सन्तुलित विकास की नींव रखी है इसलिए डा भीमराव आम्बेडकर के द्वारा भारत में किये गये योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. विशिष्ट अतिथि रामशंकर ने कहा कि शिक्षा के बगैर न कोई सख़्श तरक्की कर सकता है और न ही कोई मुल्क. उन्होंने कहा कि यह बात डा भीमराव आम्बेडकर बहुत अच्छी तरह से जानते थे लिहाजा उन्होंने हर जतन से शिक्षा हासिल की और शिक्षा की ताकत से अपने मुल्क को मालामाल बनाया. सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर विशनू यादव ने कहा कि भारत के नवनिर्माण में डॉ. भीमराव आम्बेडकर का योगदान काबिले तारीफ है उन्होंने वंचित क़ौम को सम्बल देकर भारत को विशेष तरक्की की राह दिखायी.
शिक्षा पर डा आम्बेडकर का विशेष नजरिया था वह कहा करते थे जो शिक्षा रूपी शेरनी का दूध पियेगा वह दहाड़ेगा इसलिए हम सबको अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए शिक्षा रूपी शेरनी का दूध जरूर पीना चाहिए. विशिष्ट अतिथि सिधौली कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर राकेश कुमार सिंह ने कहा कि डा आम्बेडकर का मानना था जब तक देश नशा, कुरीतियों से मुक्त नहीं होगा तब तक देश का नवनिर्माण नहीं हो सकता. एडवोकेट अनिता गौतम ने कहा कि भारत के नवनिर्माण में जितना योगदान बाबा साहब का है उतना ही उनकी पत्नी रमाबाई का भी है. आयोजक ग्राम प्रधान बुद्धप्रकाश ने कहा कि बाबा साहब के मिशन को पूरा करने के लिए हरदोइया बुद्ध विहार समिति सदा ही समर्पित रही है और रहेगी ताकि सिम्बल ऑफ नॉलेज का जो योगदान भारत के नवनिर्माण में है उसे कभी भुलाया नहीं जा सके.
कार्यक्रम आयोजक पत्रकार/ लेखक एवं ग्राम प्रधान बुद्ध प्रकाश ने अतिथिगणों को प्रतीक चिन्ह व शाल भेंटकर स्वागत किया. समारोह में प्रमुख रूप से हेमनाथ गौतम, कमलेश कुमार, गुरुदीन गौतम, बुद्ध प्रकाश, गौतम, वीरेंद्र कुमार मधुकर, इंजी रामचंद्र गौतम, हर्ष कुमार रसिक, उजागर लाल, धर्मेंद्र कुमार, अनुराग आग्नेय, महेंद्र कुमार, राजेश कुमार भारती, डाॅ. देवेंद्र कश्यप निडर, निजामुद्ददीन, विनोद कुमार तिवारी, सियाराम, रामकुमार, अनिल कुमार सहित अनेक गणमान्य एवं विशिष्ट जन उपस्थित रहे.
विशिश्ट जनों का हुआ सम्मान
समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले अशोक प्रजापति, कोतवाली प्रभारी राकेश कुमार सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता हेमनाथ गौतम, स्तंभकार लेखक चंद्रशेखर प्रजापति , शिक्षक रामशंकर , पिंकी अरविंद प्रजापति, एडवोकेट अनीता गौतम, समाजसेवी पूजा सिंह, वरिष्ठ शिक्षक गुरुदीन गौतम, मशहूर शायर सगीर भारती एवं फहीम विश्ववानी को प्रशस्ति पत्र, आम्बेडकर फोटो व साल ओढ़ाकर अभिनंदित किया गया. कुशल संचालन स्तंभकार लेखक चंद्रशेखर प्रजापति ने किया.