पर्यावरण दिवस का आयोजन: पर्यावरण संरक्षण आज की आवश्यकता
सांसे हो रही कम आओ पेड़ लगाएं हम
सीतापुर : विश्व पर्यावरण दिवस के शुभ अवसर पर मिशन लाइफ के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र, अम्बरपुर, सीतापुर के द्वारा केन्द्र परिसर में एक जागरूकता कार्यक्रम एवं गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर केन्द्र पर पौध रोपण किया गया तथा पौध वितरण भी किया गया.
केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ विनोद कुमार सिंह ने पर्यावरण प्रदूषण के कारणों, दुष्प्रभाव एवं पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने तथा जैव विविधता संरक्षण के लिए किए जाने वाले कार्यों पर चर्चा करते हुए कहा कि आज विश्व के समक्ष दूषित पर्यावरण एक बहुत बड़ी समस्या है. हमारे भारत देश में भी पर्यावरण की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है. यह हमारी धरती को, जनजीवन को एक दिन निगल लेगा. वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, प्लास्टिक प्रदूषण और अन्य सभी प्रदूषण की मात्रा दिनोदिन बढ़ती जा रही है. कुयें और तालाब जल विहीन हो रहे हैं, तमाम नदियां भी अस्तित्व विहीन हो चुकी हैं.
हवा विषाक्त हो रही है। ध्वनि प्रदूषण मानक से कहीं ऊपर है. हम पेड़ – पौधों को लगातार काटते जा रहे हैं, धरती पर पेड़ – पौधे एवं वन कम होते जा रहे हैं, छः ऋतुओं एवं विभिन्न परिस्थितियों के कारण हमारे देश में पाई जाने वाली विभिन्न वनस्पतियां एवं पशु-पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं. प्लास्टिक का दैनिक जीवन में अंधाधुंध एवं अवैज्ञानिक तरीके से प्रयोग किया जा रहा है. हम लोग भूगर्भ जल का अवैज्ञानिक तरीके से अंधाधुंध दोहन करते जा रहे हैं. इन सभी कारणों से पर्यावरण अत्यन्त ही खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. अतः इस दिशा में हम सबको सम्मिलित प्रयास करने की आवश्यकता है.
आधुनिकता की अंधी दौड़ में हम अपने भौतिक सुख के लिए कंक्रीट के जंगल उगाते जा रहे हैं तथा भूगर्भ जल का अंधाधुंध दोहन करते जा रहे हैं साथ ही साथ वर्षा जल के संरक्षण पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इसका दुष्परिणाम हमारी अगली पीढ़ी को अवश्य ही झेलना पड़ेगा. हम भावी पीढ़ी के सुख-साधन बढ़ाने में जुटे हैं परन्तु हम यह कतई नहीं सोच रहे कि अगर उन्हें स्वच्छ हवा, स्वच्छ जल एवं शुद्ध भोजन आदि नहीं मिलेगा तो वे इस धन-संपदा का क्या करेंगे. हमारी भावी पीढ़ी जब प्रदूषित हवा और पानी के कारण बीमार ही रहेगी एवं अकाल मौत मरेंगे, पानी के लिए मार-काट मचेगी. तब हमारे द्वारा जोड़े गए सुख-साधन बेकार होंगे और इनका कोई अर्थ नहीं रहेगा. इस कंक्रीट के जंगल में कोई रहने वाला ही नहीं होगा. ऐसे में समाज और सरकार सबको सोचना चाहिए। भावी पीढ़ी के लिए स्वच्छ हवा, शुद्ध पानी एवं शुद्ध भोजन से ज्यादा जरूरी और कुछ नहीं है.
इस दिशा में हम सबको सम्मिलित प्रयास करने होंगे. वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण को घटाने के सभी उपाय तत्काल ईमानदारी के साथ शुरू करने होंगे. जल संरक्षण पर बहुत काम करने की जरूरत है जिससे भूगर्भ जल के अंधाधुंध दोहन को रोका जा सके, जल का सदुपयोग किया जाय एवं वर्षा जल का सरंक्षण हो. यह कार्य सामूहिक स्तर पर करना होगा. हमें अपने बच्चों को भी इसके लिए जागरूक करना होगा. उनमें पौध रोपड़, जल संरक्षण करने और पर्यावरण को स्वच्छ रखने की आदत डालनी होगी. तभी हमारी धरती हमारी भावी पीढ़ी के रहने और जीने लायक रह सकेगी.
सरकार द्वारा जल संरक्षण के लिए अलग से जल शक्ति मंत्रालय का गठन करके गतिविधियां संचालित की जा रही हैं यदि लोगों का सहयोग होगा तो अवश्य ही अच्छे परिणाम आयेंगे. हमें पौध रोपड़, जल संरक्षण करने, प्लास्टिक का प्रयोग न करने/ पुनः प्रयोग/पुनः चक़ण और पर्यावरण को स्वच्छ रखने की आदत डालनी होगी. तभी हमारी धरती हमारी भावी पीढ़ी के रहने और जीने लायक रह सकेगी.
केन्द्र के प्रभारी अध्यक्ष अमरनाथ सिंह ने किसानों को वृक्षारोपण एवं सरक्षण, प्राकृतिक खेती, वैज्ञानिक उमेश कुमार सिंह ने मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन, ऋचा सिंह ने मोटा अनाज के व्यंजनों पर जानकारी प्रदान की.
कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के परिसर में सम्मानित किसान बंधुओं की उपस्थिति में पौधरोपण भी किया गया तथा उपस्थित लोगों को पौधरोपण करने, जल संरक्षण, जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरुक किया गया.