माहवारी स्वच्छता को लेकर जागरूक हो रहीं किशोरिया
सीतापुर/लखीपुर। केस- एक -“शुरूआत से ही मुझे माहवारी के दिनों में नहाने, खाना बनाने और पूजा करने से मना किया जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं है। मुझे मेरी काउंसलर दीदी ने समझाया कि माहवारी के दिनों में मेरे शरीर से निकलने वाला खून अछूत नहीं होता है, वह मेरे ही शरीर का हिस्सा है. जिस भगवान ने मुझे बनाया है, वह मेरे छूने से अछृत कैसे हो सकता है.
” यह कहना है मिश्रिख ब्लॉक के बहेरवा गांव की 20 वर्षीया सुनीता का. केस- दो -“माहवारी के दिनों में मैंने कभी भी अपने सास-ससुर को खाना बनाकर नहीं दिया. मुझे बताया गया कि माहवारी का खून गंदा होता है, इसलिए इस दौरान खाना बनाना, पूजा करना मना होता है. पिछले साल जब मैं अपनी बेटी के साथ सीएचसी गईं तो अर्श काउंसलर से बात करके पता चला कि यह एक कुप्रथा है. अब मैं माहवारी के दिनों में सारे काम करती हूं और बेटी को भी करने देती हूं।” यह कहना है सिधौली ब्लॉक के अहमदपुरजट गांव की सावित्री का.
सीएमओ डॉ. मधु गैरोला का कहना है कि सामाजिक और महिला स्वास्थ्य के बदलाव की यह कहानियां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम का परिणाम है. सदियों पुरानी दकियानूसी कुप्रथा के खिलाफ बदलाव की यह बयार अब सकारात्मक परिणाम देने लगी है. किशोरियां अब उन मुद्दों पर भी बेहिचक बात करने को तैयार हैं, जिन पर कुछ साल पहले तक महिलाएं बोलने से कतराती थीं। माहवारी स्वच्छता जैसे मुद्दे को लेकर अब किशोरियां और महिलाएं संवेदनशील हो चली हैं.
साथिया केंद्रों पर मिल रही जानकारी
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समंवयक शिवाकांत बताते हैं कि किशोरावस्था की शुरूआत में शारीरिक एवं मानसिक बदलाव तेजी से होते हैं. इस दौरान किशोरियों की यौन विषय पर जानकारी भी अलग-अलग होती है. जिसको लेकर उनके मन में कई तरह की शंकाएं, जिज्ञासाएं और उलझने होती हैं, जिन्हें सुलझाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला अस्पतालों सहित सभी ब्लॉक सीएचसी पर साथिया केंद्रों (किशोर स्वास्थ्य एवं परामर्श क्लीनिक) की स्थापना की गई है.
बीते साल 5,923 ने यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य तथा 1,854 ने लिंग आधारित हिंसा पर ली जानकारी
इन केंद्रों पर प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा किशोर किशोरियों की शंकाओं और जिज्ञासाओं का समाधान तो किया ही जा रहा है, साथ ही उन्हें माहवारी स्वच्छता, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, पोषण, मानसिक स्वास्थ्य, चोट और हिंसा को रोकने और मादक पदार्थों के दुष्परिणामों के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। बीते साल साथियों केंद्रों पर 5,923 ने यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य और 1,854 ने लिंग आधारित हिंसा संबंधी अपनी जिज्ञासाओं का समाधान पाया है.
क्या कहती हैं काउंसलर
हरगांव सीएचसी की काउंसलर नुजहत परवीन कहती हैं कि समय बदल रहा है, आज के दौर में किशोरियां माहवारी स्वच्छता जैसे मुद्दे पर बात करने को तैयार हैं. मिश्रिख सीएचसी की काउंसलर लक्ष्मी गुप्ता कहती है कि आज की किशोरिया जागरूक हुई हैं. आज वह अपनी पढ़ाई और दूसरे कामों के बीच माहवारी स्वच्छता के प्रबंधन पर भी ध्यान दे रही हैं. सिधौली सीएचसी की अर्श काउंसलर लक्ष्मी का कहना है कि किशोरवय उम्र में माहवारी को लेकर अधिकांश किशोरियां चिंतित रहती हैं और वह केंद्र पर आकर अपनी समस्याओं का समाधान पाती हैं.
28 मई को होगी जागरूकता बैठक
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ. उदय प्रताप ने बताया कि विश्व माहवारी स्वच्छता प्रबंधन दिवस के मौके पर जिले के सभी ब्लॉक सीएचसी पर किशोरियों के साथ जागरूकता बैठक का आयोजन किया गया है. जिसमें अर्श काउंसलर द्वारा माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर किशोरियों को जानकारी दी जाएगी.