Surya Satta
लखीमपुर खीरी

हिम्मत, हौसला और दवाओं के बल पर एड्स की बीमारी से जंग लड़ रहा एक शख्स   

लखीमपुर : लाइलाज एड्स रोग का नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. इस रोग को जड़ से मिटाने का कोई इलाज भी नहीं है,  लेकिन हिम्मत, हौसलों और मौजूद दवाओं के बूते एक शख्स कई सालों से एड्स जैसी बीमारी से बराबर जंग लड़ रहा है. लखीमपुर खीरी जिले से ताल्लुक रखने वाले अमन (बदला नाम) एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो एड्स की बीमारी से जूझ रहे है. उन्हें पता है कि य़ह लाइलाज बीमारी है, लेकिन बावजूद इसके वह बराबर हिम्मत और हौसले से इस बीमारी का मुकाबला कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अमन (बदला नाम) को करीब 6 साल पूर्व एचआईवी जांच के बाद इस रोग की पुष्टि हुई. तभी से उन्होंने चिकित्सकों की सलाह पर अपना इलाज शुरू किया. दवाओं के साथ ही खानपान पर भी विशेष ध्यान रख रहे हैं.

 

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले आहार का सेवन कर रहे है. जिसकी बदौलत वह अभी भी खुद को स्वस्थ रखे हुए हैं और एड्स जैसी बीमारी से जंग लड़ रहे हैं. एआरटी सेंटर द्वारा उन्हें समय-समय पर दवाओं और सलाह दी जाती है, साथ ही जांच भी कराई जाती है.
नोडल अधिकारी और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि संभावित मरीजों की बराबर एचआईवी जांच कराई जाती है एचआईवी पॉजिटिव निकलने पर संबंधित मरीज को एआरटी सेंटर (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं.

 

जेल में भी एड्स रोग से जंग लड़ रहा एक बंदी

 

जिला अस्पताल के काउंसलर डॉक्टर गजेंद्र ने बताया कि खीरी जिले के एक और व्यक्ति को करीब 5 साल पूर्व जांच में एड्स होने की पुष्टि हुई थी. उसका भी इलाज चल रहा था, लेकिन वह किसी मामले में जेल भेज दिया गया. जेल में भी उसको लेकर निगरानी की जा रही है. साथ ही उसका इलाज भी कराया जा रहा है. नियमित दवा लेने की वजह से अपने आप को स्वस्थ रखे हुए हैं.

 

एचआईवी को लेकर यह है जिले का आंकड़ा

 

लखीमपुर खीरी के जिला अस्पताल में तैनात काउंसलर डॉक्टर गजेंद्र ने बताया कि साल 2022 में जनवरी से अक्टूबर तक 5848 लोगों की एचआईवी की जांच कराई गई है. जिनमें से इस साल 16 लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं. एचआईवी पॉजिटिव पाए गए लोगों में से 11 पुरुष और 5 महिलाएं हैं.

 

इनसे हो सकता है एड्स

 

संक्रमित सुई के इस्तेमाल से एड्स हो सकता है इसके अलावा किसी मरीज को संक्रमित रक्त चढ़ाना और संक्रमित मां से उसके बच्चे को भी एड्स हो सकता है. इसके अलावा असुरक्षित यौन संबंध बनाने और एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करने से भी एड्स हो सकता है.

ऐसे करें बचाव

सुरक्षित यौन संबंध बनायें हमेशा डिस्पोजेबल सिरिन्ज का ही इस्तेमाल करें. हमेशा सरकारी लाइसेंस शुदा ब्लड बैंक से ही एचआईवी मुक्त रक्त लें. इसके अलावा हर गर्भवती मां की एचआईवी जांच व संस्थागत प्रसव सुनिश्चित करें.

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