Surya Satta
ऐतिहासिक व पौराणिक

महाराजा तिलोकचन्द अर्कवंशी की 9 पीढियों ने दिल्ली पर 180 वर्षों तक किया शासन..जयंती विशेष

जयंती विशेष(jubilee special)
लखनऊ। महाराजा तिलोकचन्द्र अर्कवंशी(Maharaja Tilokchandra Arkavanshi) एक महत्वकांक्षी शासक थे इनका शासन उत्तर प्रदेश के बहराइच(अवध क्षेत्र) में था. जिस समय यह बहराइच पर शासन किया करते थे उस समय तक यह नगरी का बड़ा हिन्दू धार्मिक महत्व हुआ करता था. महाराजा तिलोकचन्द्र (त्रिलोक चन्द्र) ने बहराइच को अपनी राजधानी बनाई तथा उसके बाद एक विशाल सेना लेकर इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) के शासक विक्रमपाल को युद्ध में पराजित किया तथा राज्य पर अपना शासन स्थापित कर दिया.

महराजा तिलोकचन्द्र अर्कवंशी ने अवध से लेकर दिल्ली तक किया शासन

 इन्द्रपस्थ (दिल्ली) को जीतने के बाद महाराजा तिलोकचन्द्र अर्कवंशी ने अपने राज्य का विस्तार किया. इस दौरान उन्होंने कई अन्य राज्यों एवं नगरों को अपने अधीन कर लिया. उन्होने दिल्ली तक के सम्पूर्ण क्षेत्र और पहाड़ी क्षेत्र तक के अधिकतर भू-भाग एवं अवध के हिस्से को अपने शासन के अन्तर्गत अधीन कर लिया.
 इन्होने ही बहराइच में अपने कुल देवता को समर्पित बालार्क मन्दिर का निर्माण करवाया था. जिसे तुर्की आक्रमणकारियों ने तोड़ दिया. इन्होने ने ही बालार्क की उपाधि भी धारण की थी. महाराजा तिलोक चन्द्र अर्कवंशी की 9 पीढ़ियों ने इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) पर अपना एकक्षत्र शासन स्थापित किया. इनकी 9 पीढियों ने दिल्ली पर लगभग 180 वर्षों से अधिक समय तक शासन किया.

महाराजा तिलोकचन्द्र अर्कवंशी सहित उनकी 9 पढियों ने दिल्ली पर 918 ईसापूर्व से 1092 ईसापूर्व तक किया शासन

शासक वर्ष माह दिन
१- महाराजा तिलोकचंद अर्कवंशी ५४- २-१०
२- महाराजा विक्रमचंद अर्कवंशी १२- ७- १२
३ – महाराजा मानकचंद अर्कवंशी १० – ५ -0
४ -महाराजा रामचंद अर्कवंशी १३-११-८
५ – महाराजा हरि चंद अर्कवंशी १४-९-२४
६ – महाराजा कल्याण चंद अर्कवंशी १०- ५ ४
७ – महाराजा भीमचंद अर्कवंशी १६- २ ९
८ – महाराजा लोकचंद अर्कवंशी २६- ३- २२
९ – महाराजा गोविन्द चंद अर्कवंशी २१- ७- १२
१० – महारानी भीमा देवी १
 महारानी भीमादेवी ( लगभग कुछ 1 वर्षों तक शासन किया) महाराजा गोविन्द चन्द्र अर्कवंशी अपनी विवाह के कुछ समय पश्चात युद्धभूमि में वीरगति को प्राप्त हो गये. जिस कारण से इनकी कोई संतान नही थी अपने पति की मृत्यु के पश्चात महारानी भीमादेवी ने कुछ वर्षो तक शासन किया.
 परन्तु पति की मृत्यु के कारण इनका मन राजकाज के कार्यों में नही लगा शोक से इनका स्वास्थय बिगड़ता जा रहा था इस कारण से इन्होने अपना विशाल साम्राज्य अपने अध्यात्मिक गुरू हरगोविन्द दास को दान में देकर मृत्यु का वरण किया और अपनी मृत्यु से पहले यह कहा कि इस विशाल साम्राज्य को किसी योग्य शासक को सौपने की बात कही थी. जो योग्य शासक थे
महाराजा तिलोकचन्द्र अर्कवंशी द्वारा निर्मित बालार्क मन्दिर में प्रत्येक वर्ष महाराजा पृथ्वीराज चौहान लगवाते थे मेला
 अनंगपाल तोमर जिनके पूर्वज अरावली की पहाडियो पर स्थित थे. चूंकि महाराजा तिलोक चन्द्र अर्कवंशी और महाराजा अनंगपाल तोमर के पूर्वजों में घनिष्ठ मित्रता थी इसलिये इन्हे ही अर्कवंश के इस विशाल साम्राज्य का पालन पोषण करने का अधिकार प्राप्त हुआ तथा इस साम्राज्य के पालन पोषण के लिये इन्हे “अर्कपाल” या “सूरजपाल’ के नाम से सम्बोधित किया जाने लगा. 1163 के आसपास अजमेर के चौहान शासक ने तोमर राजा को पराजित कर दिल्ली पर अपना शासन स्थापित किया. जिसमें इसी चौहान कुल मे आगे चल कर महाराजा पृथ्वीराज चौहान का जन्म हुआ. महाराजा तिलोकचन्द्र अर्कवंशी द्वारा निर्मित बालार्क मन्दिर में प्रत्येक वर्ष के जून माह में एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता था. यह मेला भगवान सूर्यदेव की आराधन करने के लिये समर्पित किया जाता था. महाराजा पृथ्वीराज चौहान भारत के अंतिम हिन्दू राजा थे.
महराजा तिलोकचन्द्र अर्कवंशी की जयंती  प्रतिवर्ष 30 मार्च को मनाई जाती है.

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