Surya Satta
श्रावस्ती

परिवार नियोजन परामर्श दिवस के रूप में मनेगा विश्व जनसंख्या दिवस

श्रावस्ती। बच्चों के बीच में अंतर रखने और परिवार नियोजन के नवीन गर्भ निरोधक साधनों का प्रयोग करने की इच्छा रखने वालों को दूर स्वास्थ्य केंद्रों पर जाने की परेशानियों से छुटकारा मिलने वाला है. परिवार नियोजन की सेवाएं अब हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी उपलब्ध होंगी. विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) को जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर परिवार नियोजन परामर्श दिवस का आयोजन किया जाएगा और इसी दिन से इन सभी स्वास्थ्य इकाईयों पर भी परिवार नियोजन सेवाएं मिलनी प्रारंभ हो जाएगी. इस संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों एवं मुख्य चिकित्साधिकारियों को पत्र भेजा है.
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर शुरू होंगी परिवार नियोजन की सेवाएं
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच)  डॉ. शारदा प्रसाद तिवारी ने बताया कि परिवार नियोजन दिवस के आयोजन से पूर्व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर कार्यरत सभी महिला एवं पुरुष सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ अफसर) को परिवार नियोजन काउंसलिंग को लेकर प्रशिक्षण दिया जा चुका है. विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी सेंटर पर किसी सीएचओ से बात कर सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि जिले के अधिकांश हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर परिवार नियोजन की सेवाएं मिल रहीं हैं.
यहां पर कार्यरत सीएचओ की मदद से लाभार्थी की स्थिति के अनुसार उन्हें परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों की जानकारी और परामर्श दिया जा रहा है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर पुरुषों के लिए कंडोम और महिलाओं के लिए त्रैमासिक गर्भ निरोधक अंतरा इंजेक्शन, और खाने की गर्भनिरोधक गोलियां माला एन व छाया उपलब्ध हैं. जिन केंद्रों पर यह व्यवस्था अभी शुरू नहीं हो सकी है उन केंद्रों पर 11 जुलाई से इन सेवाओं को शुरू कर दिया जाएगा.
जिले में परिवार नियोजन की स्थिति
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ. उदयनाथ ने बातया कि वर्ष 2015-16 में दो या दो से अधिक बच्चों वाली 4.1 प्रतिशत विवाहिताएं नसबंदी अपनाती थीं, ऑपरेशन कराती थी, लेकिन वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर 6.9 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इसी तरह परिवार नियोजन को अपनाने में पुरुषों ने भी बीते चार सालों में दिलचस्पी दिखाई है. वर्ष 2015-16 में महज 0.1 प्रतिशत पुरुष ही नसबंदी ऑपरेशन कराते थे, लेकिन वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर 0.2 प्रतिशत पर पहुंच गया है. वर्ष 2015-16 में महज 0.5 प्रतिशत महिलाएं ही गर्भनिरोधक तिमाही इंजेक्शन अंतरा का लगवाती थी, जबकि वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर 4.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है. इसी तरह गर्भ निरोधक साधनों के रूप में प्रयुक्त की जाने वाली गोलियां की उपयोगकर्ताओं की संख्या में इजाफा हुआ है.
वर्ष 2015-16 में महज 1.2 प्रतिशत महिलाएं ही इन गोलियों का प्रयोग करती थीं, लेकिन वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर 7.1 प्रतिशत पर पहुंच गया है. बात अगर कंडोम की करें तो वर्ष 2015-16 में महज 0.6 प्रतिशत पुरुष ही परिवार नियोजन के इस अस्थायी विधि को अपनाते थे, लेकिन वर्ष 2020-21 में 13 फीसद पुरुष कंडोम का प्रयोग करने लगे हैं. दो बच्चों के बीच अंतर रखने के लिए पीपीआईयूसीडी (पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कंट्रासेप्टिव डिवाइस) महिलाओं के लिए काफी सुरक्षित मानी जाती है.
 अनचाहे गर्भ से लंबे समय तक मुक्ति चाहने वाली महिलाएं इसे बेहद पसंद करती हैं. इसके आंकड़ों में भी बीते चार सालों में 1.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वर्ष 2015-16 में महज 0.3 प्रतिशत महिलाएं ही परिवार नियोजन की इस अस्थायी विधि को अपनाती थी, लेकिन वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर दो प्रतिशत हो गया है.

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