Mahakavi Tulsidas की दातून से कहाँ बना एक विशाल वट बृक्ष
मदन पाल सिंह अर्कवंशी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 70 किलोमीटर दूर सीतापुर (sitapur) जनपद के जयरामपुर गांव के उत्तर दिशा में एक प्राचीन शिवमंदिर (praacheen shivamandir) स्थित है. इस मन्दिर के प्रांगण में 16 वीं सदी के आस पास महाकवि तुलसीदास (Mahakavi Tulsidas) ने 6 माह तक ठहरे. अपने ठहराव के दौरान तुलसीदास जी ने एक बरगद की छड़ से दातून कर के इस मन्दिर परिसर में गाढ दी थी. जो अब एक विशाल वट बृक्ष(Wat brksa) के रूप में विद्यमान है. इस स्थान पर प्रति दिन दूर दराज से भारी संख्या में लोगों पहुचे है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मांगी गई मुरादे पूरी होती है.
राजा राम सिंह की बिनती पर रामपुर गांव पहुंचे थे Mahakavi Tulsidas
बताया जाता है जब Mahakavi Tulsidas जी बृन्दावन (Vrindavan) से नैमिष आये हुए थे. नैमिषारण्य (Naimisharanya)में रामपुर स्टेट के ततकालीन राजा रहे राम सिंह की मुलाकात तुलसीदास से हुई. राजा ने तुलसीदास से रामपुर आने के लिए बिनती की. तब तुलसीदास ने राज राम सिंह(Raj Ram Singh) से कहा कि नैमिषारण्य में कुछ समय रूकने के बाद आप के गांव जरू आऊंगा. कुछ दिनों बाद तुलसीदास जी रामपुर गांव पहुचे थे.
यहां तुलसीदास जी ने बिताया था 6 माह
रामपुर गांव के उत्तर दिशा में उत्तर बहनी सराय नदी (Sarai River) के कुछ दूरी पर स्थित प्राचीन शिव मन्दिर परिसर में तुलसीदास लगभग 6 माह तक रूके. इस स्थान पर तुलसीदास जी (Mahakavi Tulsidas) ने एक बरगद की छड़ दातून करके गाढ दी थी. जो वह आज एक बिशाल वट बृक्ष के रूप में मौजूद है. जिसे उन्होंने ने ही बंशीवट नाम दिया था. तभी से यह स्थान बंशीवट के नाम से प्रसिद्ध (famous) हुआ. जहां समय बीतने के दौरान तुलसीदास जी ने रामपुर गांव के आये जय जोड़ दिया था. तब से इस गांव को जयरामपुर(Jairampur) के नाम जाना जाता है. यहां पर तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के एक अध्याय की रचना की थी.
स्थानीय लोगों ने यहां स्थापित कराई है तुलसीदास जी की मूर्ति
इस स्थान पर आने वाले लोग शिव मंदिर(temple) में पूजा अर्चना के पश्चात बडे ही श्रद्धा भाव से वट बृक्ष(Wat brksa) की भी पूजा करते है.
वही कहा यह भी जाता है कि इसी स्थान पर तुलसीदास ने जी अगहन माह की पंचमी को धनुष यज्ञ की नीव रही थी. तभी से प्रति वर्ष इस स्थान पर लोगों द्वारा अगहन माह की पंचमी को धनुस यज्ञ कराई जाती है. इस दौरान दूर- दूर से हजारों की संख्या में लोग पहुचते है. स्थानीय लोगों द्वारा समय समय पर मन्दिर, वट बृक्ष के चबूतरे का जीर्णोद्धार कराया जता है. वही कुछ वर्षै पूर्व स्थानीय लोगों द्वारा तुलसीदास जी मूर्ति व मन्दिर निर्माण कराया गया.
Follow us on Twitter- https://twitter.com/suryasattanews