Surya Satta
श्रावस्ती

यूनिसेफ टीम ने बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण से जुड़ी योजनाओं की ली जानकारी  

श्रावस्ती। यूनिसेफ इंडिया की डेप्युटी रेप्रेजेंटेटिव सुश्री लाना कटाउ के नेतृत्व में एक टीम ने सोमवार को श्रावस्ती का दौरा किया. टीम ने संयुक्त जिला अस्पताल सहित दो गांवों का दौरा कर बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण से संबंधित कार्यक्रमों व योजनाओं के विषय में जानकारी प्राप्त की. योजनाओं की स्थलीय सच्चाई जानने के लिए टीम ने संबंधित लोगों से बातचीत की. सुश्री लाना कटाऊ का उत्तर प्रदेश का यह पहला दौरा है.
उन्होंने संयुक्त जिला चिकित्सालय पहुंच कर लेबर रूम एवं नवजात के लिए चल रहे एसएनसीयू व्यवस्था की जानकारी ली. इसके बाद वह इकौना ब्लॉक के कंजड़वा गांव पहुंच कर नवजात के घर आशा की ओर से जन्म के 42 दिनों में की जाने वाली विजिट (एचबीएनसी) एवं 15 माह तक बच्चों की देखभाल के लिए की जाने वाली विजिट (एचबीवाईसी) की भी जानकारी ली. इस मौके पर उन्होंने गांव में अति कुपोषित बच्चों एवं गर्भवती की देखभाल करने वालों से बात की और उनके पोषण संबंधी व्यवहारों से प्रभावित हुईं. यूनिसेफ के सहयोग से चल रहे कार्यक्रम ‘हैलो दीदी’ के अंतर्गत प्रदेश के 3 जनपदों में परिवारों को फोन कॉल, वीडियो एवं मैसेज के माध्यम से पोषण संबंधी जानकारी दी जाती है.
इस मौके पर सुश्री लाना ने कहा कि, “शिशु मृत्यु दर को कम करने में एचबीएनसी एक सकारात्मक पहल है और श्रावस्ती जिले में आशा द्वारा किए जा रहे कार्य सराहनीय हैं. उन्होंने कहा कि “मुझे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं अन्य फील्ड कर्मियों के समर्पण को देख कर बहुत प्रसन्नता हो रही है. हमें ऐसे कार्यकर्ताओं पर गर्व है जिन्होंने महामारी के दौरान तमाम चुनौतियों के बावजूद भी अपना कार्य पूरी निष्ठा और ईमानदारी से जारी रखा. इस मौके पर यूनिसेफ टीम ने आधार से जुड़े जन्म पंजीकरण के विषय में भी जानकारी प्राप्त की. जन्म पंजीकरण बच्चे का पहला अधिकार है और बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र को आधार से जोड़ कर उन्हे एक विशिष्ट पहचान दी जाती है.
यूनिसेफ फील्ड ऑफिस उत्तर प्रदेश के प्रोग्राम मैनेजर डॉ. अमित महरोत्रा ने कहा  कि प्रत्येक बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण का अधिकार है और यूनिसेफ उनके इन अधिकारों को सुनिश्चित करने के प्रति कटिबद्ध है। टीम ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा की जाने वाली बच्चों के विकास की निगरानी एवं पोषण ट्रैकर के विषय में भी जानकारी प्राप्त की. प्रत्येक माह, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्री द्वारा बच्चों का वजन, लंबाई आदि नाप कर स्मार्ट फोन द्वारा पोषण ट्रैकर पर अपडेट किया जाता है. इसके अलावा टीम ने महादा गांव में मदरसा में चल रहे कार्यक्रम को भी देखा. कार्यक्रम के अंतर्गत 6-8 वर्ष के बच्चों को गणित, हिन्दी, उर्दू  आदि विषयों का कक्षा 1,2 एवं 3 का हुनर वर्कशीट के माध्यम से रुचिपूर्ण बना कर सिखाया जाता है.

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