मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए शादी के दो साल बाद ही बनाएं पहले बच्चे के जन्म की योजना
लखीमपुर। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और बेहतर मातृत्व स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि शादी के दो साल बाद ही पहले बच्चे के जन्म की योजना बनायी जाए और दूसरे बच्चे के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर जरूर रखा जाए. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने बहुत कारगर और सुरक्षित साधनों से युक्त बास्केट ऑफ़ च्वाइस मुहैया करा रखी है. इसके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि किसको, कब और कौन सा साधन अपनाना श्रेयस्कर होगा. बास्केट ऑफ़ च्वाइस में परिवार नियोजन के लिए नौ साधनों को शामिल किया गया है.
जिले की सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर बॉस्केट ऑफ च्वाइस के बारे में दिया जाता है परामर्श: एसीएमओ
इस बारे में उचित सलाह के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक, परिवार नियोजन काउंसलर, आशा कार्यकर्ता और एएनएम की मदद ली जा सकती है.
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ अश्विनी कुमार का कहना है कि जिले में सभी 466 स्वास्थ्य इकाइयों पर परिवार नियोजन काउंसलर व कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) की मदद से बॉस्केट ऑफ च्वाइस के बारे में लाभार्थी की स्थिति के अऩुसार सही परामर्श दिया जाता है.
प्रत्येक माह की 21 तारीख को आयोजित होने वाले खुशहाल परिवार दिवस, प्रत्येक गुरूवार को आयोजित होने वाले अंतराल दिवस एवं प्रत्येक माह की नौ तारीख को आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर भी इस बारे में जानकारी दी जाती है. पुरुष और महिला नसबंदी, आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन, माला एन, कंडोम, छाया और ईसीपी की गोलियां बॉस्केट ऑफ च्वाइस का हिस्सा हैं. डॉ अश्विनी कुमार बताते हैं कि परिवार नियोजन का साधन हर लाभार्थी अपनी जरूरत और पसंद के हिसाब से अपनाता है, लेकिन काउंसलर और चिकित्सकों को दिशा-निर्देश है कि वह लाभार्थी के उन पहलुओं की भी जानकारी जुटाएं जिनमें कोई साधन विशेष उनके लिए उपयुक्त है या नहीं.
परिवार नियोजन में जिले की स्थिति
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के नोडल अधिकारी डॉ अश्विनी कुमार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में पुरुष नसबंदी 22, महिला नसबंदी 6607, आईयूसीडी 10515, पीपीआईयूसीडी 21028, त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन 6999, माला एन 54856, कंडोम 530832, छाया 35034 और ईसीपी 28084 के लाभार्थी जिले में परिवार नियोजन सेवा प्राप्त करने के लिए आगे आए हैं.
साधनों को चुनते समय यह भी रखें ध्यान
• उन पुरुषों को नसबंदी की सेवा अपनानी चाहिए जो शादी-शुदा हों और जिनकी उम्र 60 वर्ष से कम हो. उनका कम से कम एक बच्चा होना चाहिए जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पुरुष नसबंदी तभी करवानी चाहिए जब पत्नी ने नसबंदी न करवाई हो. पुरुष नसबंदी कभी भी करवाई जा सकती है.
• महिला नसबंदी प्रसव के सात दिन के भीतर, माहवारी शुरू होने के सात दिन के भीतर और गर्भपात होने के तुरंत बाद या सात दिन के अंदर करवाई जा सकती है. वह महिलाएं इस साधन को अपना सकती हैं जिनकी उम्र 22 वर्ष से अधिक और 49 वर्ष से कम हो. दम्पति का कम से कम एक जीवित बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो. पति ने पहले नसबंदी न करवाई हो और सुनिश्चित कर लें कि महिला गर्भवती न हो और प्रजनन तंत्र में संक्रमण न हो.
• त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन प्रसव के छह सप्ताह बाद, तुरंत बाद, माहवारी शुरू होने के सात दिन के अंदर, गर्भपात होने के तुरंत बाद या सात दिन के अंदर लगवाया जा सकता है. इसे चिकित्सक की परामर्श से ही अपनाना है.
• साप्ताहिक छाया गोली प्रसव के तुरंत बाद, माहवारी शुरू होने से पहले, गर्भपात होने के तुरंत या सात दिन के अंदर अपना सकते हैं.
• कंडोम का इस्तेमाल पुरुष कभी भी कर सकते हैं। यह अनचाहे गर्भ के अलावा यौन संक्रमण और एचआईवी या एड्स से भी बचाता है.
• गर्भनिरोधक गोली माला एन प्रसव के छह महीने बाद (केवल स्तनपान की स्थिति में), प्रसव के तीन सप्ताह बाद, माहवारी शुरू होने के पांच दिन के अंदर, गर्भपात होने के तुरंत या सात दिन के अंदर अपना सकते हैं. यह गोली पीलिया होने या पीलिया का इतिहास होने पर, स्ट्रोक, लकवा या ह्रदय रोग, 35 वर्ष से अधिक उम्र की धूम्रपान करने वाली महिलाओं, उच्च रक्तचाप (140 या 90 से अधिक) या माइग्रेन की स्थिति में नहीं लेनी है.
नसबंदी के बाद नहीं होती दिक्कत
बिजुआ के सरसहा निवासी जगदेवी 43 वर्षीया बताती हैं कि महिला नसबन्दी अपनाने के बाद उन्हें कोई दिक्कत नही हुई. यह आसान और सुरक्षित तरीका है.