जिले को कुष्ठ मुक्त बनाने को आज से घर-घर खोजे जाएंगे कुष्ठ रोगी
श्रावस्ती : जिले को कुष्ठ रोग से मुक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत गुरुवार 21 दिसंबर से सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग इस अभियान को पल्स पोलियो प्रतिरक्षण अभियान की तर्ज पर चलाएगा। यह अभियान जिले के सभी ब्लॉकों व शहरी क्षेत्रों में में चलाया जाएगा। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर संभावित लक्षणों वाले कुष्ठ रोगियों को चिन्हित करने का काम करेंगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय प्रताप सिंह ने बताया कि यह अभियान चार जनवरी तक चलेगा। इस अभियान के लिए आशा कार्यकर्ताओं और पुरुष सहयोगी की टीमें बनाई गई हैं। जिन क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता नहीं हैं, वहां पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं स्वयं सेवकों की टीमें बनाई गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुष्ठ रोग को लेकर समाज में अनेक भ्रांतियां व्याप्त हैं।
इसलिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता लोगों में इन भ्रांतियों को दूर करें और उन्हें जागरूक करें। उन्हें बतायें कि अन्य बीमारियों की तरह यह भी एक बीमारी है और इसकी जांच और इलाज की सुविधा स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है।
जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ. संत कुमार ने बताया कि अभियान के लिए 1,302 टीमें गठित की गई हैं, जो प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्र में 15 से 20 घर के लगभग 100 लोगों और नगर क्षेत्र में 20 से 25 घरों के लगभग 125 व्यक्तियों की जांच करेंगी। इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी लगाया जाएगा। अभियान के सफल संचालन को लेकर 208 सुपरवाइजर भी नियुक्त किए गए हैं। इस अभियान में शामिल स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को दो दिवसीय प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।
जिला कुष्ठ परामर्शदाता डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि कुष्ठ रोग की दो श्रेणियां हैं – मल्टी बैसिलरी (एमबी) और पासी बैसिलरी (पीबी)। पीबी श्रेणी के कुष्ठ रोगियों का इलाज छह महीने तक होता है। मल्टी बैसिलरी (एमबी) श्रेणी के मरीजों का इलाज एक साल तक चलता है। जिले में कुल 119 कुष्ठ रोगी हैं। इनमें 36 पीबी और 83 एमबी के मरीज हैं। कुष्ठ रोग के लक्षणों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि शरीर पर हल्के अथवा तांबई रंग के चकत्ते हों और उनमें सुन्नपन हो तो यह कुष्ठ हो सकता है। ऐसे हिस्से पर ठंडा या गरम का एहसास नहीं होता है। इसका इलाज मल्टी ड्रग थेरेपी द्वारा होता है।