नुक्कड़ नाटक के जरिये ‘कूड़ा कचरेदानी में, सोएं मच्छरदानी में’ का दिया सन्देश
श्रावस्ती। ‘कूड़ा कचरेदानी में, सोएं मच्छरदानी में…, गिलौला सीएचसी के परिसर में इस नारे के गूंजते ही वहां मौजूद मरीज और उनके तीमारदार एक जगह पर एकत्रित होने लगे. लोगों की बढ़ती भीड़ देखकर आकार फाउंडेशन के नाट्य कलाकार भी उत्साहित होकर वाद्य यंत्रों की धुन पर बुलावा गीत गाने लगे. फिर सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से फाइलेरिया जागरूकता को लेकर नुक्कड़ नाटक का मंचन किया.
मंचन के दौरान ग्रामीणों को फाइलेरिया बीमारी के बारे में बड़े ही रोचक तरीके से जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि एक विशेष प्रकार के मच्छर के काटने से फाइलेरिया बीमारी होती है. इसलिए जरूरी है कि आप लोग मच्छरों से बचें, अपने घर के आस-पास पानी न रूकने दें, पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें ने और रात को मच्छरदानी लगाकर सोएं. कलाकारों ने बताया कि इन दिनों जिले में सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए राउंड) चल रहा है. ऐसे में आशा कार्यकर्ता आपके घर पर आकर आप सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएगी और आप लोग इस दवा का सेवन जरूर करें.
नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ग्रामीणों को यह भी बताया गया कि यह दवा दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार लोगों को नहीं खिलाई जाती है. यह दवा खाली पेट कभी भी न खाएं. मंचन के माध्यम से ग्रामीणों को फाइलेरिया से बचाव की दवा और उसे खाने के तरीके की भी जानकारी दी गई. नुक्कड़ नाटक देख रहे कई लोगों ने बताया कि गांव की आशा कार्यकर्ता उन लोगों को यह दवा खिला चुकी है.
इसके अलावा सीएचसी भिनगा और दीवानी एवं सत्र न्यायालय के परिसर के गेट पर भी इसी तरह से नुक्कड़ नाटकों का मंचन किया गया. इस दौरान चिकित्सक डॉ. दीपक शुक्ला, डॉ. विनय वर्मा, डॉ. संजय मिश्रा, डॉ. अनिल सिंह, डॉ. राजेश पटेल के अलावा आशीष पांडेय, अजीत यादव, जगदंबिका, जीनत, अनीता, राकेश चंद्र, आनंद, पूनम शर्मा आदि मौजूद रहे.
फाइलेरिया के लक्षण
सीएमओ डॉ. एपी भार्गव ने बताया कि फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने के बाद व्यक्ति को बहुत सामान्य लक्षण दिखते हैं, जैसे कि अचानक बुखार आना (आमतौर पर बुखार 2-3 दिन में ठीक हो जाता है), हाथ-पैरों में खुजली होना, एलर्जी और त्वचा की समस्या, स्नोफीलिया, हाथों में सूजन, पैरों में सूजन के कारण पैर का बहुत मोटा हो जाना, अंडकोष में सूजन आदि. फाइलेरिया का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है. फाइलेरिया से ग्रसित मरीजों का स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुफ्त इलाज किया जाता है. उपचार की सुविधा जिले की सभी पीएचसी व सीएचसी पर भी उपलब्ध है. फाइलेरिया लाइलाज बीमारी जरूर है, लेकिन उपचार से इसको बढ़ने और फैलने से रोका जा सकता है.