Surya Satta
धार्मिकसीतापुर

इस बार षष्ठी को होंगे मां धूमावती के दर्शन, नैमिषारण्य के कालीपीठ में स्थित है मां का दरबार  

 

सीतापुर। देवी भक्तों को इस बार शारदीय नवरात्र की षष्ठी को मां धूमावती के दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा. मां धूमावती के दर्शन नवरात्र के शनिवार हो ही होते हैं. नवरात्र के शनिवार के अलावा अन्य दिनों में मां धूमावती का दर्शन व पूजन नहीं किया जाता है. जिले में नैमिषारण स्थित कालीपीठ में मां धूमावती का दरबार स्थापित है.

ललिता देवी मंदिर के प्रधान पुजारी और कालीपीठ मंदिर के पीठाधीश्वर गोपाल शास्त्री ने बताया कि भक्तों के लिए कालीपीठ और मां धूमावती का दरबार शनिवार एक अक्टूबर को खुला रहेगा. माता का श्रंगार, पूजन, आरती, हवन आदि परंपरानुसार होंगे. उन्होंने बताया कि दस महाविद्या उग्र देवी धूमावती देवी का स्वरूप विधवा का है. कौवा इनका वाहन है, वह श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं। खुले केश उनके रूप को और भी विकराल बना देते हैं. संभवत: इसी कारण से इनका प्रतिदिन दर्शन करने की परंपरा नहीं है. उन्होंने बताया कि स्वरूप कितना ही उग्र क्यों न हो संतान के लिये वह हमेशा कल्याण कारी होता है. छह माह में नवरात्रि के अवसर पर ही उनके दर्शन किये जाते हैं. दनके दर्शन कर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. शनिवार को काले कपडे़ में काले तिल मां के चरणों में भेंट किये जाते हैं, मान्यता है कि सुहागिनें माता के दर्शन नहीं करती हैं.

ऐसा देवी के वैधव्य रूप के कारण है, उन्होंने बताया कि सुहागिनों द्वारा मां धूमावती का दूर से पूजन करने से सुहागिनों का सुहाग अमर हो जाता है. पुत्र और पति की रक्षा के लिए इनके दर्शन अवश्य करने चाहिए.

गोपाल शास्त्री ने बताया कि मां धूमावती अपनी क्षुधा शांत करने के लिये भगवान शंकर के पास गयीं उस समय वह समाधि में लीन थे माता के बार-बार निवेदन पर भी उनका ध्यान उस ओर नहीं गया फलस्वरूप देवी ने उग्र होकर भगवान शिव को निगल लिया. भगवान शंकर के गले में विष होने के कारण मां के शरीर से धुआ निकलने लगा. इसी कारण उनका नाम धूमावती पड़ा। उन्होंने बताया कि मां धूमावती का ये स्वरूप श्री पीतांबरा पीठ दतिया (मध्य प्रदेश) या फिर नैमिषारण्य के कालीपीठ संस्थान में ही है.

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