Surya Satta
सीतापुर

स्तनपान को लेकर सोच में बदलाव की जरूरत, जाने एक मां की कहानी 

 

सीतापुर। मैंने “जब पहली बार गर्भधारण किया, तो उस वक्त मेरे मन में स्तनपान को लेकर कोई भी ऐसा विचार नहीं था जो कुछ सोचने को विवश करे. इस बारे में मेरे परिजन व सहेलियों ने भी न तो कोई चर्चा की और न ही कोई सुझाव दिया. आमतौर पर जब कोई महिला गर्भवती होती है तो उसे ढेरों सुझाव दिए जाते हैं , कि क्या करना है और क्या नहीं. स्तनपान को लेकर किसी प्रकार की कोई चर्चा नहीं होती. यह कहना है खैराबाद ब्लॉक के रमपुरवा गांव की चांदनी (बदला हुआ नाम) का.

चांदनी बताती हैं कि नौ माह के बाद मैंने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया. यह अनुभव बेहद खास था. हालांकि बेटी के जन्म के समय मुझे बेहोशी (एनेस्थीसिया) दी गई थी, और जब मैं होश में आई तो मुझे स्तन पर कुछ हल्की सी हलचल महसूस हुई. मैंने अपनी गर्दन घुमाई तो देखा एक छोटी सी गुलाबी बच्ची मेरे पेट पर चिपकी अपनी बंद आंखों से मेरे स्तन का पान कर रही थी। वह एहसास आज भी मेरे जेहन में रचा-बसा है, जिसे सिर्फ एक मां ही महसूस कर सकती है. स्तनपान की पूरी प्रक्रिया हम मां-बेटी दोनों के लिए ही बहुत आसान रही.

इस दौरान मैंने यह तय कर लिया था कि मेरी बेटी और मेरे काम के बीच में उसका स्तनपान कभी भी बाधा न बनने पाएं. अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच भी मैं उसे समय-समय पर स्तनपान कराती थीं। अपनी चिकित्सक की सलाह पर अपनी बेटी को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराया ही कराती रहीं. वह जब छह माह की पूरी हो गई तो मैंने फिर से अपनी ड्यूटी पर जाना शुरू किया. अब मैंने डॉक्टर की सलाह पर बेटी को स्तनपान के साथ ही साथ उसे मसला हुआ चावल, आलू, केला, दाल और सब्जियों का सूप भी देना शुरू कर दिया.

क्या कहती हैं विशेषज्ञ

जिला महिला चिकित्सालय की अधीक्षक डॉ. सुषमा कर्णवाल का कहना है कि जन्म के एक घंटे के अंदर मां का पहला पीला व गाढ़ा कोलोस्ट्रम वाला दूध शिशु की इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को बढ़ाकर शिशु को संक्रामक रोगों से बचाता है. बच्चे को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए. बच्चे को छह माह तक सूखा दूध या कृत्रिम आहार या अन्य पेय नहीं देना चाहिए. यदि बच्चा या मां बीमार हो, तो भी स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए. शिशु को छह माह के बाद और दो वर्ष या उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पूरक आहार दिया जाना चाहिए. बच्चे को 24 घंटों में आठ 8 बार स्तनपान कराना चाहिए.

यह न करें

स्तनपान के दौरान धूम्रपान या अल्कोहल का सेवन न करें. यह जच्चा और बच्चा दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है. बोतल से दूध पीना बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है. इससे बच्चे को दस्त हो सकते हैं.

स्तनपान से बच्चे को लाभ

जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान से बच्चे के एक माह के अंदर मृत्यु की संभावना 22 प्रतिशत कम हो जाती है. स्तनपान से मां के संपर्क में आने से हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार), डायरिया, निमोनिया, सेप्सिस से बचाव होता है. मां के दूध से बच्चे को आवश्यक प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और एंजाइम मिलता है. यह बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है तथा मस्तिष्क विकास में सहायक होता है.

स्तनपान से मां को लाभ

डॉ. सुषमा कर्णवाल का कहना है कि स्तनपान मां को छाती और डिंब ग्रंथि के कैंसर, प्रसव के बाद खून बहने और एनीमिया की संभावना को कम करता है. इससे महिलाओं में मोटापा बढ़ने की संभावनाएं कम हो जाती हैं. स्तनपान बच्चों में मृत्यु दर के अनुपात को कम करता है. जुड़वां बच्चों को भी मां भरपूर दूध पिला सकती है.

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