Surya Satta
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गुरु पुर्णिमा और ‘शिक्षक दिवस’ की पंरपरा देश निर्माण के श्रोत है  

( दिनेश प्रसाद सिन्हा, साउथ अफ्रीका से)
गुरु शिष्य कि पंरपरा समय के साथ बदलती जा रही है. सरकार शिक्षकों से शिक्षण के अलावे अन्य कार्य लेती है. कभी कभी गुरु और शिष्य में टकराव की अवस्था भी देखा जा रहा है लेकिन फिर भी गुरु पुर्णिमा और शिक्षक दिवस भारत की पुरानी पवित्र पंरपरा है जिस पर देश का निर्माण और भविष्य बनता है.
हमारे देश में प्राचीनकाल से ही गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को पूजने और सम्मान देने की परंपरा रही है. यह गुरु पूर्णिमा महान गुरु महर्षि वेद व्यास की जयंती पर मनाई जाती है. दूसरी ओर अब वर्तमान में टीसर्च डे या शिक्षक दिवस मनाने का भी प्रचलन चला है. यह दिवस महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन 5 सितंबर को मनाया जाता है. इस दिन शिक्षकों के सम्मान में स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटीज और अन्य जगहों पर कई प्रोग्राम होते हैं। पूरी दुनिया भी टीचर्स-डे मनाती है लेकिन 5 सितंबर को नहीं बल्कि हर साल 5 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र संघ के देख रेख में मनायी जाती है.
उस दिन अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है. शिक्षक दिवस की कई ऐसी बातें और फैक्ट्स हैं, जिन्हें सभी को जानना चाहिए। इस टीचर्स-डे आइए आपको बताते इस दिन से जुड़ी कुछ तथ्य जो हम सभी के संज्ञान में होना चाहिए.
भारत के पहले उप-राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन  साल 1962 में देश के दूसरे राष्ट्रपति बने। उस साल उनके जन्मदिन को उनके दोस्त और कुछ पूर्व छात्र बड़े ही धूमधाम से मनाना चाहते थे लेकिन जब यह बात सर्वपल्ली कृष्णन को पता चली तो उन्होंने उनसे अपील करते हुए कहा कि आप लोग मेरा जन्मदिन मत मनाओ, अगर इस दिन को मनाना ही है तो शिक्षकों का सम्मान करें। तभी से शिक्षक दिवस की शुरुआत हुई.
5 सितंबर, 1888 में डॉ. राधाकृष्णन का जन्म हुआ था. वे  विद्वान, दार्शनिक और भारत रत्न से सम्मानित भी थे. उन्होंने हमेशा ही शिक्षकों के सम्मान पर जोर दिया. उनका कहना था कि समाज को सही दिशा देने का काम शिक्षक ही कर सकता है. लेकिन उस शिक्षक की अनदेखी ठीक नहीं। इसलिए उनका भी एक दिन होना चाहिए, जब उनका सम्मान, आदर हो और समाज में उनके योगदार को याद किया जाए. इसी उद्देश्य के साथ इस दिन को मनाया जाता है.
शिक्षक दिवस के दिन छात्र अपने टीचर्स को उन सभी चीजों के लिए थैंक्यू बोलते हैं, जो उन्होंने सिखाया है. देशभर के स्कूल कॉलेज, विश्वविद्यालय, इंस्टीट्यूट और कोचिंग सेंटर्स में डॉ. राधाकृष्णन को याद किया जाता है और शिक्षकों को सम्मानित करने के साथ छात्र उन्हें मैसेज, कार्ड और गिफ्ट देकर आभार जताते हैं.
 शिक्षक दिवस भारत के अलावा दुनिया में 5 अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. 5 अक्टूबर, 1966 में यूएन में पहली बार शिक्षकों की भूमिका पर चर्चा की गई. तब शिक्षकों के अधिकार और कर्तव्यों को निर्धारित किया गया. शिक्षकों की शिक्षा, रोजगार और अन्य चीजों को लेकर एक पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिला. इसके बाद साल 1994 में यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाने का ऐलान किया. उस वक्त 21वीं सदी के लिए शिक्षा को लेकर यूनेस्को अपना लक्ष्य निर्धारित कर रहा था, तभी शिक्षकों के सम्मान में इस दिन की घोषणा की गई.
इंटरनेशनल टीचर्स डे हर साल 5 अक्टूबर को मनाया जाता है. इस दिन यूनिसेफ, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन और यूनेस्को मिलकर कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. दुनियाभर में टीचर्स के सम्मान में इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है. कोई भी शिक्षक पीछे न रह जाए, इसपर चर्चा की जाती है. ग्लोबल एजुकेशन टारगेट को पूरा करने के लिए शिक्षकों की भूमिका की सराहना होती है.

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