Surya Satta
सीतापुरस्वास्थ्य

परिवार नियोजन को लेकर जिले ने पेश की अनूठी मिसाल   

सीतापुर। चार वर्षों में जिले ने स्वास्थ्य सेवाओं विशेष रूप से परिवार नियोजन(health services especially family planning) के मामले में शानदार सफलता(great success) हासिल की है. जिले की यह उपलब्धि एक बड़ी सफलता के रूप में देखी जा रही है. इस सफलता की कहानी के पीछे जनपदवासियों की मजबूत इच्छाशक्ति के साथ ही जिले के मौजूदा और पूर्व अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की कड़ी मेहनत भी छिपी है. चार सालों के आंकड़े साबित करते हैं कि परिवार नियोजन को लेकर जिले में लोगों की समझ बढ़ी(Increased understanding of people in the district regarding family planning) है और जरूरतमंद लोगों तक परिवार नियोजन के साधनों की पहुंच भी बढ़ी है.

परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों में कंडोम व गर्भ निरोधक

परिवार कल्याण कार्यक्रम के प्रबंधक जावेद खान ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे – 4 (वर्ष 2015-16) और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे – 5 (वर्ष 2019 – -21) के आंकड़ों के  तुलनात्मक अध्ययन से पता चलता है कि इन चाल सालों  में परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के मामले में 8.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वर्ष 2015-16 में 42.8 प्रतिशत लोगों तक ही इस तरह की सेवाएं पहुंच पा रहीं थीं, लेकिन वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर 51.1 प्रतिशत पर पहुंच गया है.
परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों में कंडोम और खाने की गोलियां महत्वपूर्ण कड़ी हैं. बीते चार सालों में विभाग ऐसे लोगों तक इनकी पहुंच बढ़ाने में सफल रहा. लोगों को आसानी से यह अस्थाई साधन मिलने लगे हैं. बात अगर कंडोम की करें तो बीते चार सालों में इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या में 5.7 प्रतिशत की बढा़ेतरी हुई है. वर्ष 2015-16 में महज 7.2 प्रतिशत पुरुष ही परिवार नियोजन के इस अस्थायी विधि को अपनाते थे, लेकिन वर्ष 2020-21 में 12.9 फीसद पुरुष कंडोम का प्रयोग करने लगे हैं. गर्भ निरोधक साधनों के रूप में प्रयुक्त की जाने वाली गोलियों की उपयोगकर्ताओं की संख्या में भी 0.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
 वर्ष 2015-16 में महज 1.4 प्रतिशत महिलाएं ही इन गोलियों का प्रयोग करती थीं. लेकिन वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.6 प्रतिशत पर पहुंच गया है. दो बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने के लिए पीपीआईयूसीडी (पोस्ट पार्टम इंट्रायूटेराइन कंट्रासेप्टिव डिवाइस) महिलाओं के लिए काफी सुरक्षित मानी जाती है. इसे प्रसव के 48 घंटे के अंदर लगाया जाता है. वहीं जरूरत होने पर इसको आसानी से निकलवाया जा सका है. अनचाहे गर्भ से लंबे समय तक मुक्ति चाहने वाली महिलाएं इसे बेहद पसंद करती हैं. इसके आंकड़ों में भी बीते चार सालों में 0.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वर्ष 2015-16 में महज 0.8 प्रतिशत महिलाएं ही परिवार नियोजन की इस अस्थायी विधि को अपनाती थीं , लेकिन वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.1 प्रतिशत हो गया है.

क्या कहते हैं जिम्मेदार

परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश चंद्रा का कहना है कि परिवार नियोजन को लेकर लोगों की समझ बढ़ी है, यह अच्छी बात है। इसके लिए  स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता एएनएम, आशा, संगिनी, स्टाफ नर्स, सीएचओ की कड़ी मेहनत है, जिसके लिए मैं सभी को बधाई देता हूं.

Leave a Reply

You cannot copy content of this page