Surya Satta
सीतापुर

गौशालाओं में भूख प्यास और ठंड से दम तोड़ रहे गौवंश  

सीतापुर। सीतापुर जनपद के सकरन ब्लॉक मुख्यालय से 500 मीटर की दूरी पर सकरन खुर्द गांव में स्थित ग्राम समाज और चारागाह की 80 बीघा जमीन पर बनायी गयी 500 पशुओं की छमता वाली गौशाला में जहां 3 वर्ष पूर्व 555 बेसहारा गौवंश(destitute cows) को आश्रय दिया गया था. गौशाला में रखे गये पशुओं के चारा पानी की व्यवस्था के लिए सरकार के द्वारा प्रतिमाह लाखों रुपए दिए जाते हैं. इसके बावजूद यहाँ रखे गए गौवंश को न तो कभी ठीक से चारा पानी मिल पाया और न ही धूप, वर्षा और कड़ाके की ठंड से बचाव के लिए टीन शेड बनाया गया है. स्थानीय ग्रामीणों द्वारा अव्यवस्था और भ्रष्टाचार(disorder and corruption) की उच्चाधिकारियों से लगातार शिकायते करने के बाद भी कोई सुधार नही हो सका है.

 कमीशन के खेल में सकरन खुर्द गौशाला में धूप, वर्षा और ठंड से बचाव के लिए नहीं डाला जा सका है टीन शेड

सकरन की इस गौशाला में गौवंश को धूप, वर्षा और सर्दी से बचाव के लिए टीन शेड डालने के लिए 2 वर्ष पूर्व कंक्रीट के आधा सैकड़ा पिलर तो बनाए गए थे. लेकिन कमीशन के खेल में अब तक यहां टीन शेड नहीं पड़ सका(Till now teen shed could not fall here in the commission game) है. ऐसे में गौशाला में आश्रय पाए बेसहारा गौवंश खुले आसमान के नीचे धूप, वर्षा(sunshine, rain under the open sky) और हांड कपाती सर्दी में जीवन बचाने को बेबस हैं.

जाडे की सर्द रातों में खुले आसमान के नीचे गौशाला में भूख प्यास से दम तोड़ रहे गौवंश

गौशाला में पशुओं को हरा चारा मिल सके इसके लिए यहां खाली पड़ी तमाम जमीन पर नेपियर घास उगाने का दावा प्रधान प्यारे लाल तो कर रहे हैं. लेकिन पशुओं को चारे के नाम पर केवल थोड़ी सी मात्रा में धान का पैरा अथवा गेहूं का भूसा जो अधिकांशता सड़ा हुआ होता है. दिया जा रहा है. ऐसे में बडी संख्या में गौवंश भूख प्यास और ठंड लगने से आये दिन दम तोड़ रहे हैं. इसी व्यवस्था के चलते आज गौशाला में एक सैकड़ा के आस पास ही पशु शेष बचे हैं.

जंगली जानवरों व चील कौओं का शिकार बन रहे बीमार गौवंश

सकरन खुर्द गौशाला में आधा दर्जन गौवंश जो अत्यंत बीमार हैं उनकी कोई देख भाल करने वाला नही है बीमार पशु जो उठ कर चल नहीं पा रहे उन्हें खुलेआम जंगली सियार और चील कौए नोच नोच कर खा रहे(Openly eating wild jackals and eagles) हैं. जबकि गौशाला में गौवंश की सेवा के लिए मनरेगा से 4 मजदूर रखे गए हैं. जब मजदूरों से पशुओं की दुर्दशा को लेकर हमारे संवाददाता ने बात की गई तो उनका कहना था कि इतने पशुओं की देखरेख कैसे की जा सकती है.
ऐसा मंजर सकरन खुर्द गांव में स्थित गौशाला का ही नही सीतापुर जनपद की प्रत्येक गौशालाओं का कमोबेश यह हाल है. सरकार भले ही आवारा गौवंश की उचित देख रेख का दावा कर रही हो लेकिन जमीनी हकीकत किसी से छिपी नही है.
अव्यवस्था और भ्रष्टाचार की उच्चाधिकारियों से शिकायते करने बाद भी नही हो पा रहा सुधार
क्षेत्रवासी सुधीर सिंह, प्रताप, राकेश सिंह राम नरेश, सुशील, दिनेश सिंह, आनंद शुक्ला, मनोज तिवारी,महेंद्र वर्मा,मोनू मिश्रा, अजय गुप्ता, संतोष यादव, अमरेंद्र वर्मा, रामू पाल, दिवाकर सिंह,विवेक गुप्ता,महेश मिश्रा,मनोहर लाल,देश राज सिंह, राम चंद्र मिश्रा, कमलेश शुक्ला आदि का कहना है कि सकरन की गौशालाओं में व्याप्त अव्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर समय-समय पर उच्चाधिकारियों को जानकारी दिये जाने के बावजूद गौशालाओं की हालत नहीं सुधर पायी है.

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