Surya Satta
सीतापुर

क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने में महत्वपूर्ण है टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी

 

श्रावस्ती। क्षय रोग (टीबी) के संक्रमण को रोकने के लिए टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) भी जिले में दी जा रही है. इस थेरेपी के माध्यम से बलगम धनात्मक रोगियों के संपर्क में रहने वाले पांच साल तक के बच्चों को छह माह तक प्रति किलो वजन के अनुसार दवा दी जाती है. जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. संतकुमार ने बताया कि क्षय उन्मूलन में टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी का विशेष महत्व है। इस थेरेपी के तहत टीबी संक्रमित बलगम धनात्मक मरीज के परिवार के पांच वर्ष से छोटे बच्चों को उनके वजन के हिसाब से छह माह तक क्षय रोग की प्रतिरोधी दवाएं दी जाती हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश के कई जनपद में पांच वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति को भी जांच कर थेरेपी दी जा रही है.

 

जल्द ही जनपद में वृहद रूप से अभियान चलाकर थेरेपी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी ऐसे लोगों को दी जाएगी जिनमें सक्रिय रूप से टीबी के लक्षण नही होंगे. जिले में टीबी संक्रमितों को खोजने का अभियान भी चलाया जा रहा है. इसके तहत जिला अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी की ओपीडी में आने वाले मरीजों में से पांच प्रतिशत मरीजों को टीबी की जांच के लिए माइक्रोस्कोपी सेंटर भेजा जा रहा है. इसके अलावा टीबी रोगियों के परिजन व उनके संपर्क में आने वालों की भी जांच कराई जाएगी. जांच में टीबी के लक्षण न दिखाई देने पर परिवार के सदस्यों को प्रीवेंटिव दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं साथ ही एचआईवी के मरीज को भी प्रीवेंटिव दवाएं दी जाती हैं. इसके अलावा यदि जांच में किसी सदस्य में टीबी के लक्षण पाए गए तो उसका पूरा इलाज डॉट सेंटर के माध्यम से किया जाएगा.

क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समन्वयक रवि कुमार ने बताया कि यदि किसी को फेफड़े की टीबी है तो वह कम से कम 15 लोगों को टीबी से संक्रमित करता है. इसलिए टीबी मरीजों के परिवार के लोगों का उन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि क्षय रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इन प्रयासों में और भी तेजी लाने की आवश्यकता है. क्षय रोग को समाप्त करने में स्वास्थ्य विभाग के साथ ही सामाजिक संगठनों, निजी चिकित्सकों व आमजन को भी आगे आना होगा. क्षय रोगियों के इलाज के साथ ही उनके पोषण में भी सहयोग आवश्यक है, तभी इस रोग को जड़ से समाप्त किया जा सकता है.

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