Surya Satta
सीतापुर

10.97 लाख की आबादी में खोजे जाएंगे टीबी रोगी

 

दस दिवसीय सघन टीबी रोगी खोज अभियान का शुभारंभ नौ सितंबर से
 माइक्रो प्लान तैयार, 418 टीमों की देखरेख में चलेगा अभियान

सीतापुर। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत आगामी नौ सितंबर से 20 सितंबर तक दस दिवसीय सक्रिय क्षय रोगी खोज (एसीएफ) अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर संभावित क्षय रोग के लक्षण वाले मरीजों की पहचान करेंगी। जिसके बाद चिन्हित इन संभावित रोगियों की टीबी की जांच की जाएगी और टीबी की पुष्टि होने पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनका इलाज शुरू किया जाएगा। इस आशय की जानकारी सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह ने गुरुवार को अपने कार्यालय में मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए दी।
सीएमओ ने बताया कि यह अभियान अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, ईंट-भट्टे, निर्माणाधीन प्रोजेक्ट, फल व सब्जी मंडी, क्रेशर, बाल संरक्षण गृह, लेबर मार्केट आदि में भी चलाया जाएगा। इसको लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने बताया कि जिले की कुल आबादी की 20 फीसद आबादी को आच्छादित करते हुए शहरी एवं ग्रामीण बस्ती तथा हाई रिस्क क्षेत्र में यह अभियान चलेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिले की कुल आबादी 54,58,355 है, इसका 20 फीसद यानि 10,91,671 आबादी में यह अभियान चलाया जाएगा। जिसके लिए माइक्रोप्लान तैयार कर लिया गया है।

सीएमओ ने बताया कि टीबी (क्षय रोग) एक घातक संक्रामक रोग है जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होता है। टीबी (क्षय रोग) का बैक्टीरिया ज्यादातर फेफड़ों पर हमला करता है लेकिन यह फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। जब क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई उत्पन्न होता है जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। ये ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई कई घंटों तक वातावरण में सक्रिय रहते हैं। जब एक स्वस्थ्य व्यक्ति हवा में घुले हुए इन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई के संपर्क में आता है तो वह इससे संक्रमित हो सकता है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. मनोज देशमणि ने बताया कि इस अभियान में 418 टीमें लगाई गयी हैं और हर टीम में आशा, आंगनवाड़ी एवं कम्युनिटी वोलेंटियर रहेंगे। प्रत्येक पांच टीमों पर एक सुपरवाइजर की तैनाती की गई है। हर ब्लॉक में एक चिकित्सा अधिकारी को इस अभियान का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। डॉ. मनोज देशमणि ने बताया कि इस साल बीते जुलाई माह तक 9,387 टीबी रोगियों की खोज की जा चुकी है, इन सभी का उपचार स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराया जा रहा है। इस मौके पर जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी राज कुमार, राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समन्वयक आशीष दीक्षित एवं यूनिसेफ के एमएम खान सहित मीडिया कर्मी मौजूद रहे।

टीबी के लक्षण

– लगातार दो सप्ताह से खांसी व बुखार का आना और आगे भी जारी रहना।
– खांसी के साथ खून का आना।
– छाती में दर्द और सांस का फूलना।
– वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना।
– शाम को बुखार का आना और ठण्ड लगना।
– वजन कम होना ।
– रात में पसीना आना।

Leave a Reply

You cannot copy content of this page