Surya Satta
सीतापुर

टीबी संक्रमित मां भी नवजात को करा सकती हैं स्तनपान  

 

सीतापुर। टीबी यानि क्षय रोग संक्रमित मां हमेशा इस उलझन में रहती हैं कि बच्चे को स्तनपान कराना सुरक्षित रहेगा कि नहीं. विश्व स्तनपान सप्ताह (एक से सात अगस्त) के दौरान उनकी इसी जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश की है जिला महिला चिकित्सालय की अधीक्षक एवं स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुषमा कर्णवाल का कहना है कि टीबी संक्रमित मां भी अपने नवजात को बिना किसी भय के स्तनपान करा सकती है. इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर किसी तरह का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा. लेकिन इतना जरूर है कि स्तनपान के दौरान मां को थोड़ी सी सावधानी जरूर बरतनी होगी.

डॉ. सुषमा कर्णवाल ने बताया कि टीबी कई तरह की होती है. केवल फेफड़ों की टीबी से दूसरों में संक्रमण फैलने की संभावना होती है.  अन्य अंगों की टीबी की स्थिति में संक्रमण फैलने की संभावनाएं नहीं रहती हैं. इसलिए फेफड़ों की टीबी होने पर पूरी सावधानी बरतते हुए स्तनपान जरूर कराया जा सकता है. उन्होंने बताया कि मां के दूध में में माइक्रो बैक्टीरियम ट्युबरक्लोसिस बैलिसी नहीं पाया जाता है. इसके अलावा यदि मां दो सप्ताह या फिर उससे अधिक समय से टीबी रोग की दवा ले रही है तो दूध में इस दवा के अंश नहीं रहते हैं. ऐसे में मां का दूध नवजात के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है, कोई भी मां अपने बच्चे को स्तनपान करा सकती है.

स्तनपान के समय बरतें सावधानी

डॉ. सुषमा कर्णवाल ने कहा कि टीबी संक्रमित या संक्रमण का संदेह होने पर भी मां को अपने बच्चे को स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. स्तनपान के दौरान मां को थोड़ी सी सावधानी बरतनी होगी. संक्रमित मां बच्चे को जब भी स्तनपान कराएं तो चेहरे को मास्क से अच्छी तरह से ढक लें और चेहरे को बिल्कुल करीब या सीधे शिशु की ओर न रखें. इसके अलावा शिशु को छूने से पहले और बाद में अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन-पानी से धुल ले. जिससे बच्चे को अन्य संक्रमण से भी बचाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि सामान्य स्थिति में भी जब तक मां बहुत ज्यादा बीमार नहीं है, बच्चे को स्तनपान कराते रहना चाहिए. बच्चे के बिस्तर और आस-पास की जगह को नियमित रूप से साफ रखना चाहिए.

स्तनपान के लाभ

जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान से बच्चे के एक माह के अंदर मृत्यु की संभावना 22 प्रतिशत कम हो जाती है. स्तनपान से मां के संपर्क में आने से हाइपोथर्मिया (ठंडा बुखार), डायरिया, निमोनिया, सेप्सिस से बचाव होता है. मां के दूध से बच्चे को आवश्यक प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और एंजाइम
मिलता है. यह बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है तथा मस्तिष्क विकास में सहायक होता है. स्तनपान से मां को छाती और डिंब ग्रंथि के कैंसर, प्रसव के बाद खून बहने और एनीमिया की संभावना को कम करता है. इससे महिलाओं में मोटापा बढ़ने की संभावनाएं कम हो जाती हैं. स्तनपान बच्चों में मृत्यु दर के अनुपात को कम करता है जुड़वां बच्चों को भी मां भरपूर दूध पिला सकती है.

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