Surya Satta
श्रावस्ती

एक फोन पर सेवा को हाजिर. आखिर कौन है यह गुमनाम स्वास्थ्य सिपाही

 

श्रावस्ती : मातृ और शिशु स्वास्थ्य के मुद्दे को लेकर वह हर एक मोर्चे पर मुस्तैद खड़ी नजर आती हैं. इंडो-नेपाल सीमा पर पहाड़ों की तलहटी में बसे मोतीपुर कला, मसाह कला और बभनी कुकुरभुकवा गांवों की धात्री और गर्भवती महिलाओं को आश्वस्त होने के लिए जिसकी मौजूदगी मात्र ही पर्याप्त है. बच्चे जिन्हें देखते ही खुशी से चहक उठते हैं. जो जरूरतमंदों तक पहुंचने के लिए महज एक फोन काल की दूरी पर हों उस व्यक्तित्व का नाम है दमयंती मौर्या.


दुर्गम रास्तों पर चलकर इन गांवों तक पहुंचना हर किसी के लिए आसान नहीं है. लेकिन एएनएम दमयंती नियमित रूप से न सिर्फ इन गांवों तक पहुंचती हैं, बल्कि ग्रामीणों की सेवा करने के उद्देश्य से बलिया जिले की मूल निवासी दमयंती ने बभनी कुकुरभुकवा गांव में अपना मकान बनाकर स्थायी रूप से रह भी रही हैं. उनके इसी सेवा भाव को देखते हुए क्षेत्र का हर कोई उन्हें एएनएम दीदी कहकर बुलाता है. वह बीते 34 सालों से यहां तैनात हैं, अपना मकान होने के बाद भी वह रात में पांच किमी दूर मोतीपुर कला के स्वास्थ्य उपकेंद्र पर रूकती हैं.

 

क्या कहते हैं लोग

 

मोतीपुर कला निवासी शिक्षक कर्मवीर राना कहते हैं दमयंती दीदी जिस तरह से अपनी ड्यूटी करती हैं, वह दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत है. दिन हो या रात एक फोन पहुंचते ही वह तुरंत एक गांव से दूसरे गांव पहुंचकर मरीज की सेवा में जुट जाती हैं. वह बताते हैं कि गांव में सभी को समय पर टीके लगते हैं. कारोबारी सुरेंद्र बताते हैं कि कोविड काल में लोगों को कोविड प्रोटोकाल की जानकारी देने के साथ ही लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए भी प्रेरित करने का काम उन्होंने बखूबी निभाया है.

 

क्या कहती हैं दमयंती

 

एएनएम दमयंती बताती है कि वर्ष 1989 में उनकी स्वास्थ्य विभाग में उनकी तैनाती बतौर एएनएम ग्राम पंचायत मोतीपुर कला में हुई. नौकरी की शुरूआत थारू जनजाति बाहुल्य गांव, जहां के रीति-रिवाज और परिवेश पूरी तरह से अलग, मन में कुछ घबराहट भी थी, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग मिला और नाैकरी के दौरान कोई परेशानी नहीं हुई. वह बताती है कि कुछ समय के बाद थारू समाज में इस तरह घुलमिल गईं कि अब इन्हें छोड़कर जाने का मन नहीं करता है.

 

क्या कहते हैं जिम्मेदार

 

सिरसिया सीएचसी के अधीक्षक डॉ. प्रवीण और बीसीपीएम विनोद श्रीवास्तव का कहना है कि एएनएम दमंयती मौर्या जिस निष्ठा और समर्पण भाव से अपनी ड्यूटी करते हुए क्षेत्रीय ग्रामीणों की सेवा करती हैं, वह सराहनीय है. अभी एक साल का उनका सेवाकाल शेष है. इस दौरान भी वह इसी सेवाभाव ने अपनी ड्यूटी करेंगी, ऐसा विश्वास है. दूसरे लोगों को दमयंती से प्रेरणा लेना चाहिए.

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