प्रसव में जटिलता को रोकेगी ‘स्किल बर्थ अटेंडेंस
श्रावस्ती। ग्रामीण क्षेत्रों में स्किल बर्थ अटेंडेंस (एसबीए) के जरिये मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने के प्रयास लगातार जारी हैं. संस्थागत और सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संयुक्त जिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य कर्मियों को एसबीए का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 21 दिवसीय इस प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ संयुक्त जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जेता सिंह ने किया.
एसीएमओ (आरसीएच) डॉ. उदयनाथ ने प्रशिक्षणार्थियों को मॉड्यूल वितरित करते हुए बताया कि प्रशिक्षण में गर्भवतियों को एनीमिया से बचाव और प्रसव के दौरान पीपीएच प्रबंधन, एंटी नेटल, पोस्टर नेटल केयर, एक्लेम्पसिया, स्तनपान, कंगारू देखभाल, प्रसव पश्चात देखभाल, प्रसव पूर्व परीक्षण, प्रसव पूर्व रक्तस्राव, एएमटीएसएल आदि की जानकारी दी जा रही है. प्रसव में आने वाली जटिलता का भौतिक और मौखिक दोनों प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं. प्रशिक्षण पूरा होने पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि नेशनल रूरल हेल्थ मिशन का मुख्य उद्देश्य बच्चों की मृत्यु दर को कम करना है. यह तभी संभव हो सकता है जब हर गर्भवती महिला गर्भ के दौरान व डिलीवरी के दौरान स्किल बर्थ अटेंडेंट की सेवाएं लें. अतिकुपोषित गर्भवती की पहचान उसकी हालत देखकर भी आसानी से की जा सकती है. आंख, हाथ, पैर के नाखून में पीलापन, त्वचा व जीभ के रंग से भी कमजोरी का पता लगाया जा सकता है. स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को चाहिए कि वह गर्भावस्था पूर्व देखभाल के दौरान ही गर्भवती को पंचरंगी आहार लेने के लिए प्रेरित करें.
लाल रंग आहार में टमाटर, चुकंदर, पीले में संतरा, पपीता, सफेद में दूध, हरे में मटर समेत हरी सब्जियां, काले में जामुन व खजूर का सेवन करने के लिए प्रेरित करें.
इस मौके पर जिला मातृ स्वास्थ्य परामर्शदाता आरती कुमारी, चीफ फार्मासिस्ट केके श्रीवास्तव, जिला स्वास्थ्य एवं शिक्षा अधिकारी अभय प्रताप, श्रीवास्तव प्रमुख रूप से मौजूद रहे। प्रशिक्षणार्थियों को टीएसयू के प्रतिनिधि समेत कामिनी, बिट्टू देवी व कामिनी स्टाफ नर्स प्रशिक्षण दे रहीं हैं.