Surya Satta
सीतापुर

श्री अन्न आधारित व्यंजन प्रतियोगिता आयोजित

 

सीतापुर : अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के अंतर्गत जनपद की महिलाओं द्वारा विभिन्न आयोजनों पर अलग अलग मौसम में देशी तरीके से बनाए जाने वाले श्री अन्न (पोषक अनाज/मोटे अनाज) के स्वादिष्ट व्यंजनों को प्रोत्साहित करके एक नई पहचान दिलाते हुए व्यवसाय से जोड़ने, मानव आहार में समावेश करने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केन्द्र, अम्बरपुर, सीतापुर द्वारा गोंदलामऊ विकास खण्ड के कुर्सी ग्राम पंचायत में श्री अन्न आधारित व्यंजन प्रतियोगिता आयोजित की गई।

 

चूंकि सीतापुर जनपद में मोटे अनाजों में से सबसे ज्यादा उत्पादन बाजरा का किया जाता है जिसकी खेती सबसे अधिक क्षेत्रफल में गोंदलामऊ विकास खण्ड में की जाती है। उत्पादन में ज्वार दूसरे स्थान पर आता है। इसलिए सबसे अधिक व्यंजन जैसे खीर, नमकीन एवं मीठा चौसेला, पेड़ा, लड्डू, पुआ, नमकीन एवं मीठी टिक्की, कचौड़ी, रोटी, पंजीरी आदि स्वादिष्ट व्यंजन बाजरा से तैयार किए जाते हैं। सांवा, कोदो, काकुन, रागी एवं मडुआ में कुछ फसलों की खेती जनपद में बहुत ही सीमित क्षेत्रफल में एवं कुछ की नाममात्र की जाती है। इस वर्ष मोटे अनाज का मानव जीवन में महत्व को जानकारी प्रदान करने, इन सभी फसलों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए प्रशिक्षण, व्यंजन प्रतियोगिता, जागरुकता कार्यक्रम एवं प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं।

इसी के क्रम में कुर्सी गांव में आयोजित श्री अन्न व्यंजन प्रतियोगिता में आई हुई समस्त महिलाओं को श्री अन्य का मानव जीवन में महत्व, श्री अन्न द्वारा बनाए जाने वाले विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों के बारे में एवं उनको व्यवसाय से जोड़ने के बारे में जानकारी दी गई। इस कार्यक्रम की शुरुआत में कृषि विज्ञान केंद्र की गृह विज्ञान वैज्ञानिक ऋचा सिंह ने आए हुए प्रतिभागियों, निर्णायक मंडल का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला तथा प्रतिभागियों को विभिन्न पोषक अनाजों में पाए जाने वाले तत्व की जानकारी प्रदान करते हुए पोषक अनाजों का आहार में महत्व की जानकारी दी साथ ही साथ इसके द्वारा बनाए जाने वाले विभिन्न व्यंजनों के निर्माण को उनके गुणों के आधार पर प्रोत्साहित किया तथा कहा इसका ज्यादा से ज्यादा निर्माण करके व्यवसायिक रूप भी दिया जा सकता है तथा रोजगार के अवसर भी प्राप्त किये जा सकते हैं।

 

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ विनोद कुमार सिंह ने अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष आयोजन के के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए पोषक अनाज के मानव जीवन में महत्व की जानकारी प्रदान करते हुए लोगों को अपने आहार में पोषक अनाजों से बने हुए विभिन्न उत्पादों को शामिल करने का अनुरोध किया। उनके द्वारा कहा गया कि पहले हमारे यहां विभिन्न प्रकार के पोषक अनाज किसानों द्वारा पैदा किए जाते किए जाते थे एवं अपने आहार में शामिल किया गया था लेकिन धीरे-धीरे अधिकतर मोटे अनाज हमारे आहार से बाहर हो गए, आज आवश्यकता है कि इनके गुणों को ध्यान में रखते हुए इन्हें पुनः अपने आहार में शामिल किया जाए साथ ही साथ इनका उत्पादन करके एवं इनके व्यंजनों का निर्माण करके व्यवसाय का रूप भी दिया जाए जिससे रोजगार के अवसर सृजित होंगे तथा आय में वृध्दि होगी। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ उमेश कुमार सिंह ने भी इस कार्यक्रम को संबोधित किया।

 

आयोजित प्रतियोगिता में कुर्सी गांव की महिलाओं द्वारा बाजरा से तैयार किए हुए खीर, नमकीन चौसेला, मीठा चौसेला, पेड़ा, पुआ, नमकीन टिक्की, मीठी टिक्की, कचौड़ी, रोटी, पंजीरी एवं सांवा से निर्मित खीर के साथ प्रतिभाग किया गया। सभी प्रतिभागियों द्वारा बनाए गए व्यंजन बहुत ही स्वादिष्ट एवं उच्च गुणवत्ता के थे। गांव की अन्य महिलाओं ने भी इस कार्यक्रम में उत्सुकता पूर्वक प्रतिभाग किया। इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में कुर्सी गांव की ग्राम प्रधान सुमन देवी, जूनियर हाई स्कूल, कुर्सी के प्रधानाध्यापक राकेश यादव एवं कृषि विज्ञान केंद्र की गृह वैज्ञानिक ऋचा सिंह शामिल थी जिनके द्वारा प्रतिभागियों द्वारा बनाए गए विभिन्न व्यंजनों का स्वाद, रंग आदि के आधार पर मूल्यांकन किया गया एवं प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम का चयन किया गया।

 

तुलसाना देवी द्वारा बनाए गए नमकीन चौसेला ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, कुमारी मंजू देवी द्वारा बनाई गई बाजरे की खीर ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया, रेशमा बानो द्वारा बनाए गया बाजरे का पेड़ा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया, नूरजहां द्वारा बनाए गए बाजरे की मीठी टिक्की ने चतुर्थ स्थान प्राप्त किया एवं उधमा देवी द्वारा बनाए गए बाजरे के मीठा चौसला ने पंचम स्थान प्राप्त किया। इनके अलावा ऊषा देवी, शिवकला, विंधेश्वरी एवं नन्ही देवी ने भी इस प्रतियोगिता में भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया।

 

चूंकि बाजरा से बने हुए विभिन्न उत्पाद का सेवन अधिकतर शरद ऋतु में किया जाता है इसलिए इस मौसम में लोगों के पास बाजरा भी उपलब्ध नहीं होता है फिर भी ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मायाराम एवं ग्राम प्रधान सुमन देवी द्वारा सक्रिय भूमिका निभाते हुए सभी प्रतिभागियों को बाजरा या उसका आटा उपलब्ध कराया गया जिससे कि प्रतियोगिता को सफल बनाया जा सके। इसके लिए कृषि विज्ञान केन्द्र इन्हें आभार व्यक्त किया तथा समस्त प्रतिभागियों को कार्यक्रम में प्रतिभाग के लिए आभार व्यक्त किया गया। इस अवसर पर आंगनबाड़ी कार्यकत्री कुसमा देवी तथा रामादेवी, यशोदा, प्रेमवती आदि मौजूद थीं।

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