ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बरपुर में आयोजित की गई गोष्ठी
सीतापुर : कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बरपुर, सीतापुर के तत्वाधान में केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार सिंह के मार्गदर्शन में इंटीग्रल विश्वविद्यालय, लखनऊ में अध्ययनरत बीएससी (आनर्स) कृषि (चतुर्थ वर्ष) की छात्राओं का ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (रावे) कार्यक्रम संचालित है. जिसके अन्तर्गत केन्द्र द्वारा छात्राओं के समूह बनाकर उनको सिधौली विकास खण्ड के सरसौली, किरतापुर, हीरपुर, अटरिया, जजौर, अम्बरपुर एवं कन्टाइन गांव आवंटित किया गया है.
छात्राओं ने केन्द्र के मार्गदर्शन में ग्राम पंचायत के आधारभूत आंकड़ों का संकलन किया, खेती – किसानी की परिस्थितियों, किसानों की समस्याओं आदि का ग्रामवासियों के सहयोग से विधिवत अध्ययन किया एवं किसानों को तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने एवं उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करने एवं अपने सीखने के उद्देश्य से एक किसान गोष्ठी का आयोजन भी किया. इस गोष्ठी का आयोजन सरसौली, जजौर, कन्टाइन, हीरपुर व अटरिया समूह की छात्राओं द्वारा सामूहिक रूप से कृषि विज्ञान केन्द्र के परिसर में किया गया. गोष्ठी की शुरुआत में आकांक्षा सिंह ने गोष्ठी में आए हुए अतिथियों, महिला एवं पुरूष किसान भाइयों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला.
तकनीकी सत्र में छात्राओं ने अपने द्वारा आवंटित गांव में किए गए कार्यों एवं किसानों की समस्याओं पर चर्चा की तथा अमीषा सिन्हा ने जैविक खेती, रागिनी कुमारी ने टिकाऊ खेती, कविता पटेल ने प्राकृतिक खेती एवं मशरूम उत्पादन, हर्षिता मौर्य ने डी एफ आई, अंजली सिंह ने किसानों के हित में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं, अंचल सिंह ने फसल चक्र, सुप्रिया यादव ने एकीकृत कीट प्रबंधन, आसरा सिद्दीकी ने आई एन एम, प्रिया सिंह ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड, रोली पटेल ने स्वच्छता, विधि त्रिवेदी ने एकीकृत कृषि प्रणाली, श्रेया पांडे ने जल संरक्षण तथा आदिवा मशूद ने फसलों की समस्याओं पर जानकारी प्रदान की.
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ0 विनोद कुमार सिंह ने एकीकृत कृषि प्रणाली, मृदा स्वास्थ्य में गिरावट के कारण एवं उनके सुधारात्मक उपाय, फसलों की लागत कम करने, गुणवत्तायुक्त उत्पादन में वृद्धि एवं उचित मूल्य प्राप्त करने के तकनीकी बिंदुओं पर चर्चा करते हुए अपने सम्बोधन में किसानों सुझाव दिया कि यदि आप लोग खेती – किसानी के तकनीकी पहलुओं को ध्यानपूर्वक अपनाएंगे तो अवश्य ही फसलों की लागत में कमी आएगी तथा सही समय पर गतिविधियों को करने एवं उचित देखभाल करने पर गुणवत्ता युक्त उत्पादन में वृद्धि होगी जिसके फलस्वरूप बाजार में उसका उचित मूल्य प्राप्त होगा. यदि बाजार में हमें और अधिक मूल्य प्राप्त करना है तो फसल उत्पादों में मूल्य संवर्धन करना होगा.
कृषि को उद्यम का रुप देने एवं टिकाऊ बनाने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाना आवश्यक है जिससे किसानों की आय तो दोगुनी होगी ही साथ ही साथ समय-समय पर धनार्जन होता रहेगा जिससे कभी भी धनाभाव का सामना नहीं करना होगा. डॉ0 सिंह गोष्ठी में छात्राओं द्वारा दी गई जानकारी की सराहना करते हुए कहा कि छात्राओं ने बहुत ही अच्छे तरीके से अपने आवंटित गांव वालों के साथ मिलकर जानकारियां हासिल की हैं तथा गोष्ठी में सभी पहलुओं पर विधिवत जानकारी प्रदान की है. यह गोष्ठी उनके सीखने के लिए ही आयोजित की गई थी जिससे उनमें भविष्य में कहीं भी सेवा क्षेत्र में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने व उनमें भाग लेने में कोई भी दिक्कत न हो और अच्छे तरीके से अपने कार्यों का निष्पादन कर सकें.
वैज्ञानिक उमेश कुमार सिंह ने फसल अवशेष प्रबंधन एवं एकीकृत पोषक प्रबंधन पर विस्तार से जानकारी प्रदान की. अंत में किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया. गृह विज्ञान विशेषज्ञ ऋचा सिंह ने मानव शरीर के विकास एवं स्वस्थ रखने में पोषक तत्वों का महत्व, कुपोषण के कारण एवं निदान तथा संतुलित आहार के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान की.
इस अवसर पर प्राथमिक विद्यालय जजौर के प्रधानाध्यापक ने भी छात्राओं द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की, सरसौली गांव के प्रगतिशील किसान गंगाराम ने भी छात्राओं की सराहना करते हुए कहा कि छात्राओं को ऐसे कार्यक्रम में सीखने का बहुत अच्छा अवसर मिला है. कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम के संचालक आकांक्षा सिंह धन्यवाद ज्ञापित कियाने समस्त आगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया.