डेढ़ दशक से अवैध अतिक्रमण का दंश झेल रहा से सांडा का पूर्व माध्यमिक विद्यालय व ब्लॉक संसाधन केंद्र
सीतापुर। सकरन ब्लॉक कार्यालय व ब्लॉक संसाधन केंद्र सकरन सांडा की दीवारों से जुड़ा पूर्व माध्यमिक विद्यालय सांडा इन दिनों अतिक्रमण का दंश झेलने को मजबूर है. अवैध अतिक्रमण इस कदर है कि बच्चों के आवागमन के दौरान अप्रिय घटनाओं की भी आशंका बनी रहती है. इस संबंध में विद्यालय की इंचार्ज प्रधानाध्यापिका के द्वारा उपजिलाधिकारी बिसवां को शिकायती पत्र देकर अतिक्रमण हटाए जाने की मांग की गई है.

पूर्व माध्यमिक विद्यालय सांडा की इंचार्ज प्रधानाध्यापिका के द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र में स्पष्ट किया गया है कि ब्लॉक मुख्यालय के निकट व सांडा बिसवां मुख्य मार्ग के समीप पूर्व माध्यमिक विद्यालय संचालित है. विद्यालय के निकट तमाम अज्ञात लोगों के द्वारा अवैध तरीके से अतिक्रमण करके व्यवसाय किया जा रहा है. अतिक्रमण इस तरीके से किया गया है. जिसके चलते विद्यालय बाउंड्रीवाल व मार्ग पूर्ण रूप से छिप गया है. गेट छिप जाने के कारण बच्चों के आवागमन के दौरान दुर्घटना आदि अप्रिय घटनाओं की आशंका बनी रहती है. इतना ही नहीं विद्यालय के समीप विद्यालय का खेल मैदान है.

खेल मैदान पर एक अवैध कारखाना पिछले डेढ़ दशक से बिना किसी व्यवसायिक अनुमति के संचालित है. खेल मैदान में अवैध कारखाना लगा होने के कारण विद्यालय के बच्चों की खेल प्रतियोगिताएं संपन्न नहीं हो पा रही है,इतना ही नहीं विद्यालय की इंचार्ज प्रधानाध्यापिका अस्मिता सिंह यादव के द्वारा यह भी अवगत कराया गया. कि उपरोक्त अतिक्रमण को लेकर उनके द्वारा कई बार उच्चाधिकारियों को पत्राचार किया जा चुका है, परंतु कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है. यहां पर लाख टके का सवाल यह है कि क्या मुख्य मार्ग से समीप इस विद्यालय पर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी की नजर नहीं पड़ी जिसे यह अतिक्रमण दिखा होता और इस पर कोई ठोस कदम उठाया गया होता।जहां तक प्रश्न आता है बच्चों की सुरक्षा का तो शायद यह अधिकारी किसी अप्रिय घटना के घटित होने का इंतजार कर रहे हैं. इस अवैध अतिक्रमण पर कब बुलडोजर चलेगा यह एक सवाल बना हुआ है.
इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी जितेंद्र बहादुर चौधरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि विद्यालय गेट के साथ-साथ ब्लॉक संसाधन केंद्र के समीप व विद्यालय के खेल मैदान तक अवैध तरीके से अतिक्रमण कर दुकानें और पक्के मकान भी बना दिए गए हैं जिसके संबंध में कई बार उच्चाधिकारियों को सूचना की जा चुकी है.