सुरक्षित गर्भपात से मातृ मृत्यु दर में आएगी कमी
सीतापुर। अनचाहे गर्भ से बचने के लिए कई अस्थायी व स्थायी साधनों की मौजूदगी के बाद भी असुरक्षित गर्भपात की स्थिति बनना मातृ स्वास्थ्य के लिए जोखिम से भरी हो सकता है. असुरक्षित गर्भपात के जोखिम को ध्यान में रखते हुए, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी (संशोधित) एक्ट, 2021 को समझने की ज़रुरत है जिनमें समाज और धार्मिक नेता भी शामिल हैं ताकि महिलाओं को असुरक्षित गर्भपात से बचाया जा सके. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार विश्व में हर वर्ष कुल गर्भधारण में लगभग आधे गर्भधारण अनचाहे होते हैं. इनमें 10 में से छह अनचाहे गर्भधारण और सभी 10 में से तीन गर्भधारण गर्भपात में समाप्त होते हैं.
प्रशिक्षित डॉक्टर से ही कराएं गर्भपात
डब्ल्यूएचओ का मानना है कि गर्भपात तभी सुरक्षित हो सकता है जब वह प्रशिक्षित डॉक्टर की मदद से कराया जाए. असुरक्षित गर्भपात से होने वाली कुल मौतों में 97 प्रतिशत मौत विकासशील देशों में होती हैं. विकसित देशों में जहाँ एक लाख पर 30 महिलाओं की मृत्यु होती हैं। वहीं विकासशील देशों में 220 महिलाओं की जान चली जाती है. विकासशील देशों में करीब 70 लाख महिलाएं हर साल असुरक्षित गर्भपात के कारण अस्पतालों में भर्ती होती हैं. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2022 के अनुसार, असुरक्षित गर्भपात भारत में मातृ मृत्यु दर का तीसरा प्रमुख कारण है और असुरक्षित गर्भपात से संबंधित कारणों से हर दिन करीब आठ महिलाओं की मौत हो जाती है.
एसीएमओ डॉ. एसके शाही का कहना है असुरक्षित गर्भपात से होने वाली मातृ मृत्यु को कम करने एवं गर्भपात सेवाओं को बेहतर बनाने और गुणवत्तापूर्ण पहुंच बनाने के उद्देश्य से देश में वर्ष 1971 में चिकित्सीय गर्भपात अधिनियम (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी एक्ट या एमटीपी एक्ट) लागू किया गया. यह अधिनियम सुरक्षित गर्भपात सेवा के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है जिससे असुरक्षित गर्भपात को कम किया जा सक. पहले इस अधिनियम के अनुसार भारत में विशेष परिस्थितियों में 20 सप्ताह तक के गर्भ का गर्भपात कराना वैध था लेकिन अब संशोधित अधिनियम (2021) के अनुसार 24 सप्ताह तक के गर्भ का गर्भपात कराना वैध है. किसी भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र, मान्यता प्राप्त निजी अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा एमबीबीएस चिकित्सक से ही गर्भपात कराएं.
कब कराया जा सकता है गर्भपात
यदि गर्भ को रखने से महिला के जीवन को खतरा है या उसके कारण महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गहरी चोट पहुंच सकती है.
अगर पैदा होने वाले बच्चे को शारीरिक या मानसिक असमानताएं होने की सम्भावना है.
अनचाहा गर्भ होने पर और गर्भनिरोधक विधि की असफलता के कारण गर्भपात कराया जा सकता हैं.
गर्भपात के लिए सहमति
यदि महिला 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की हो और मानसिक रूप से स्थिर हो तो सहमति फॉर्म पर केवल महिला की सहमति से गर्भपात किया जा सकता है. पति/परिवार की सहमति की जरूरत नहीं होती. नाबालिग होने (18 वर्ष से कम आयु) होने की दशा में या मानसिक रूप से बीमार होने पर संरक्षक की सहमति की आवश्यकता होती है. एमटीपी अधिनियम आशा, एएनएम, लोकल हेल्थ विजिटर (एलएचवी), स्टाफ नर्स, दाइयों को या अन्य किसी अप्रशिक्षित व्यक्तियों को गर्भपात करने की अनुमति नहीं देता है हालांकि गर्भपात के बाद इनसे देखभाल के लिए सलाह ली जा सकती हैं. ध्यान देने योग्य बात यह है कि लिंग परीक्षण के लिए किया गया गर्भपात अवैध है.