Surya Satta
सीतापुर

समृद्धि और सशक्तीकरण की इबारत लिख रहीं ग्रामीण महिलाएं   

सीतापुर। पहला ब्लॉक के संडौर गांव की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं. वह समूहों में कार्य शुरू कर सशक्तिकरण  और समृद्धि की नई इबारत लिख रही हैं. यहां की ग्राम प्रधान पुष्पा देवी के नेतृत्व में महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह बनाकर किराना और परचून की दुकानों व बकरी पालन का काम शुरू किया है.कुछ महिलाओं ने कोरोना काल में मास्क  बनाकर अपनी आय अर्जित की है.
इस गांव में 22 महिला स्वयं सहायता समूह बने हैं,  जिनमें से सात समूहों को राष्ट्रीय आजीविका मिशन से आर्थिक सहायता भी मिल चुकी है. प्रत्येक समूहों को स्टेशनरी आदि खरीदने के लिए 1500-1500 रुपए और कारोबार करने के लिए 15,000-15,000 रुपए मिले हैं. इनमें से तीन समूह की महिलाएं गांव में किराना की दुकान संचालित करने की योजना बना रही हैं तो चार समूह की महिलाएं बकरी पालन करने जा रहीं हैं.
हाईस्कूल तक शिक्षित ग्राम प्रधान पुष्पा देवी कहती हैं कि गांव की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की जरूरत है. यह महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और अपने परिवार का आर्थिक सहयोग कर सकें इसी को लेकर मैंने गांव की महिलाओं को जागरूक कर 22 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन कराया है.

स्वयं सहायता समूह का गठन कर बनीं आत्मनिर्भर

 इन समूहों में से सात को राष्ट्रीय आजीविका मिशन से आर्थिक लाभ दिलाया गया है, शेष समूहों को भी आर्थिक लाभ दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं. शासन स्तर से ग्राम पंचायत को लेकर छह समितियों का गठन किया गया है. इन समितियों की हर माह नियमित रूप से बैठक होती है और इन बैठकों में वह स्वयं उपस्थित होती हैं। वह बताती हैं कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाए बिना और उन्हें उनके अधिकार दिलाए बिना उनको सशक्त नहीं बनाया जा सकता है. महिलाओं को आर्थिक संबल प्रदान करना और उन्हें पंचायतों में भागीदारी दिलाना मेरी प्राथमिकताओं में शामिल है.
ग्राम प्रधानों और पंचायत सदस्यों की समझ को बढ़ाने, उन्हें पंचायती राज व्यवस्था, ग्राम पंचायत के विकास, शासकीय योजनाओं एवं उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए पेस (पार्टीसेपेटरी एक्शन फार कम्युनिटी एम्पॉवरमेंट) संस्था द्वारा पहला ब्लॉक के 30 गांवों में पंचायती राज सशक्तीकरण परियोजना का संचालन किया जा रहा है.
 इस परियोजना के तहत हर माह पंचायत की समितियों की बैठकें आयोजित की जाती हैं. पेस संस्था की जिला समंवयक बीना पांडेय का कहना है कि संस्था के वालंटियर स्वयं सहायता समूहों के गठन और राष्ट्रीय आजीविका मिशन से आर्थिक सहायता दिलाने में इन ग्रामीण महिलाओं की मदद करते हैं. वह बताती हैं कि अब तक पहला ब्लॉक की 30 ग्राम पंचायतों के प्रधान व पंचायत सदस्यों सहित कुल 460 लोगों को पंचायती राज व्यवस्था के संबंध में जागरूक किया जा चुका है.

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